सरकारी स्कूलों में स्थिति खराब, लौट सकते हैं पुराने दिन
प्रदेश में कई स्कूल ऐसे हैं जहां बच्चों के बैठने के लिए पर्याप्त कमरे ही नहीं है
ऐसे में बच्चे कहीं खुले में तो कहीं बरामदे में बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर है समय रहते अगर प्रयास नहीं किए गए तो सरकारी स्कूलों के फिर से वही बेचारगी के दिन लौट सकते है
मुकेश वैष्णव/दिव्यांग जगत/अजमेर
अजमेर । कोरोना काल में निजी स्कूलों द्वारा विद्यार्थियों से जबरन फीस वसूली, कोर्ट-कचहरी और विवादों के बीच सरकारी स्कूलों में नामांकन तो बढ़ गया लेकिन सरकारी स्कूलों के मौजूदा हालात उस नामांकन को सहेजकर रखे जाने के लिए माकूल नजर नहीं आते। सरकारी स्कूलों की हालत देख कर लगता नहीं कि सरकार बढ़े नामांकन वाले विद्यार्थिोयों को निरंतर खुद से जोड़े रखने में संजीदा है। प्रदेश में कई स्कूल ऐसे हैं जहां बच्चों के बैठने के लिए पर्याप्त कमरे ही नहीं हैं। ऐसे में बच्चे कहीं खुले में तो कहीं बरामदे में बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। समय रहते अगर प्रयास नहीं किए गए तो सरकारी स्कूलों के फिर से वही बेचारगी के दिन लौट सकते हैं।
सरकारी स्कूलों में स्थिति खराब, लौट सकते हैं पुराने दिन
अजमेर में 11 फीसदी बढ़े विद्यार्थी
कोरोना काल में कई कारणों से सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ा। अकेले अजमेर में ही 11 प्रतिशत नामांकन में इजाफा हुआ। लेकिन इन स्कूलों में बैठने तक के लिए जगह और अन्य भौतिक सुविधाओं का टोटा होने से बच्चे परेशान हो रहे हैं। यदि यही स्थिति रही तो अभिभावक फिर से बच्चों को प्राइवेट स्कूलमें भेजने को मजबूर होंगे।
बजट आए तो हो कमी पूरी
बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय समग्र शिक्षा अभियान को बजट नहीं मिला। इसमें बजट आने से ही राजकीय विद्यालयों में कक्षा-कक्षों का निर्माण हो सकेगा। इसी के साथ अन्य भौतिक सुविधाओं की कमी भी बड़ी समस्या है। इसके अलावा सरकारी स्कूलों में शिक्षकों का टोटा भी है, तो कई जगह संस्था प्रधान ही नहीं हैं। विषयाध्यापक नहीं होने से उपलब्ध स्टाफ को निर्धारित कक्षाओं से ज्यादा का प्रभार दे दिया जाता है।
नामांकन का ऐसा गणित
नामांकन वर्ष 2019-20 वर्ष 2020-21
छात्र 146220 161432
छात्रा 159054 170155
कुल 305274 331587
प्रदेश के स्कूलों में संस्था प्रधानों की स्थति
2177 प्रधानाचार्यों के पद व 1213 प्रधानाध्यापकों के पद खाली है ।
11262 सीनियर सैकंडरी स्कूल प्रदेश में
3553 सैकंडरी स्कूल प्रदेश में
नामांकन बढऩे के यह रहे कारण
-कोरोना के कारण कई परिवारों के समक्ष आर्थिक संकट खड़ा हो गया। प्राइवेट स्कूलों की भारी भरकम फीस को देखते हुए उन्होंने अपने बच्चे की टीसी कटवाई और सरकारी स्कूल में दाखिला करवाया।
-प्राइवेट स्कूल की तरह सरकारी स्कूलों में भी ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था शुरू हो गई। इससे अभिभावकों ने सरकारी स्कूलों को ही प्राथमिकता दी।
- सरकारी स्कूल नजदीक होने के कारण भी ग्रामीणों ने बच्चे को दूर-दराज स्थित प्राइवेट स्कूल में भेजने के बजाय पास के सरकारी स्कूल में ही दाखिला करवा दिया।
-महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के नवाचार ने भी सरकारी स्कूल के प्रति अभिभावकों की धारणा बदली।
इनका कहना है
अजमेर जिले में 11 प्रतिशत नामांकन बढ़ा है। कोविड के बाद लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर हुई है। प्राइवेट स्कूलों की फीस बढऩे से आर्थिक भार पड़ा। प्राइवेट स्कूल व सरकारी स्कूल दोनों में ऑनलाइन पढ़ाई हुई तो लोगों ने सरकारी स्कूल में नामांकन करवा दिया। सरकारी स्कूलों में कमरों के लिए प्रस्ताव भेजे हैं। करीब 400 कमरों की जिलेभर में दरकार है।
अजय गुप्ता
एडीपीसी समसा