मुस्लिम दिव्यांग कवि ने राम मंदिर को लेकर कही बड़ी बात

मुस्लिम दिव्यांग कवि अयोध्या में करेंगे भगवान श्रीराम का गुणगान

जगद्गुरु संत रामभद्राचार्य ने भेजा न्यौता

मध्यप्रदेश। अकबर ताज को जगद्गुरु संत रामभद्राचार्य ने 14 जनवरी को अयोध्या में होने वाले विशेष आयोजन में प्रस्तुति के लिए आमंत्रित किया गया है. बता दें कि अकबर ताज मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के ग्राम हापला-दीपला के रहने वाले नेत्र दिव्यांग कवि हैं. अकबर ताज कि रचना की पंक्तियां ‘ बनारस की सुबह वाले अवध की शाम वाले हैं, हम ही सुजलाम वाले हैं, हम सुफलाम वाले हैं, वजू करते हैं पांचों वक्त हम गंगा के पानी से, तुम्हारे ही नहीं श्रीराम, हम भी राम वाले है.’ सोशल मीडिया में कभी वायरल है. अकबर ताज अपनी रचनाओं से देशभर में भगवान श्रीराम के चरित्र का गुणगान कर रहे हैं. वह कहते हैं भगवान श्रीराम सबके हैं.

अकबर ताज ने नहीं ली किसी तरह की शिक्षा
44 वर्षीय अकबर ताज ने कभी किसी भी प्रकार की शिक्षा नहीं ली क्योंकि वे नेत्र दिव्यांग है. वो खंडवा जिले के जिस गांव में वह रहते है वहां ब्रेल लिपि क्या होती है ये भी कोई नहीं जानता. इसके बावजूद इसके उनके अंदर दिव्य प्रतिभा है. वे मन की आंखों से संसार को देखते हैं. अकबर ताज देशभर के हिंदी, उर्दू मंचों पर रचनापाठ कर चुके हैं. भगवान राम पर आधारित उनकी रचनाओं ने उन्हें खूब सम्मान दिलाया है. अकबर कहते है कि अगर उन्हें अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर भी बुलाया जाएगा तो वे वहां भी जाएंगे.

अकबर ताज कहता है चारों धाम लिख देना

अकबर ताज ने NDTV से बात करते हुए अपनी रचनाएं सुनाते कहा कि राम बनो तो राम के जैसा होना पड़ता है, राजमहल को छोड़ के वन में सोना पड़ता है, राम कथा को पढ़ लेना तुम आज के राजाओं, धर्म की खातिर राज सिंहासन खोना पड़ता है. उन्होंने कुछ यूं भी लिखा कि यहां भी राम लिख देना, वहां भी राम लिख देना, ये अकबर ताज कहता है कि चारों धाम लिख देना, समंदर में भी फेकोगे तो पत्थर तैर जाएंगे, मगर उन पत्थरों पर रामजी का नाम लिख देना.

राम जैसा या लक्ष्मण बना देना

भगवान श्रीराम के चरित्र से प्रेरित होकर उन्होंने लिखा है कि मुझे तू राम के जैसा या फिर लक्ष्मण बना देना, सिया के मन के जैसा मन मेरा दर्पण बना देना, मुझे अंधा बनाया है तो मुझको गम नहीं इसका, मेरी संतान को भगवन मगर श्रवण बना देना. अकबर ने अपनी रचनाओं में भगवान श्रीराम के वनवास गमन के दृश्य का भी बखूबी प्रस्तुत किया है.

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