दिव्यांग युवती ने राष्ट्रपति को भेजा पत्र, कार्रवाई की लगाई गुहार
प्रयागराज। थरवई में सरेआम पूरे परिवार पर हमला किए जाने के मामले में पीड़ित दिव्यांग युवती प्रिंशू जायसवाल (साधना) ने राष्ट्रपति को पत्र भेजकर कार्रवाई की मांग की है। साथ ही यह भी गुहार लगाई है कि उसके प्रार्थना पत्र को एक पत्र याचिका मानते हुए इसे भारत के मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा जाए। प्रिंशू पुत्री अशोक कुमार जायसवाल निवासी ग्राम जगदीशपुर पूरेचंदा ने पत्र में बताया है कि दो साल पहले एक भीषण सड़क दुर्घटना में उसने दाहिना हाथ खो दिया।
आरोप है कि गांव के प्रधान योगेश त्रिपाठी उर्फ रामू, हजारी लाल जायसवाल व हरिश्चंद्र साहू के षडयंत्र के तहत नौ अगस्त की शाम प्रिंशू, उसकी बड़ी बहन प्रतिभा जायसवाल व उसके पति संजीव जायसवाल की हत्या का प्रयास किया गया। आरोप है कि सुधीर गुप्ता उर्फ बबलू, सुनील उर्फ पिंटू, सुमित उर्फ दीपू तथा राजेश जायसवाल उर्फ बबलू ने लोहे की राॅड, लाठी व डंडे से हमला किया।
इसमें जीजा संजीव का जबड़ा फट गया तथा दो दांत भी टूट गए, सिर पर भी प्रहार किया गया। गर्भवती बड़ी बहन प्रतिभा पर भी लाठी डंडे से प्रहार किया गया। साथ ही उस पर भी लोहे की राॅड से हमला किया गया। पीड़िता का आरोप है कि उसके कटे हुए हाथ पर प्रहार किया गया तथा एक पैर, जिसमें दुर्घटना के बाद से राॅड पड़ी हुई है, पर भी प्रहार किया गया। सभी को गंभीर चोटें आईं। घटना के समय थरवई पुलिस मौजूद थी लेकिन किसी ने मदद नहीं की। आरोप है कि शिकायत लेकर जाने पर थानाध्यक्ष लोकेन्द्र त्रिपाठी व अन्य पुलिसकर्मियों ने अभद्र व्यवहार करते हुए भगा दिया।
70 हजार रुपये लाने और रात मे 10 बजे के बाद आने को कहा। अगले दिन उच्चाधिकारियों से भी शिकायत की लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। अब हमलावर व साजिशकर्ता धमकी दे रहे हैं। इस मामले में थानाध्यक्ष लोकेंद्र त्रिपाठी का कहना है कि आरोप निराधार हैं। युवती की मां का एक मकान को लेकर विवाद चल रहा है। इस मकान में पहले युवती का परिवार रहा करता था जिसे कोर्ट के आदेश पर खाली कराया गया। बाद में इसे किसी और ने खरीद लिया। इसी को लेकर दोनाें पक्षों में विवाद हुआ जिसमें युवती के परिवार पर दूसरे पक्ष ने एफआईआर दर्ज कराई है। पुलिस पर लगाए गए सभी आरोप गलत हैं।