लाखों दिव्यांगो को नहीं मिला बीपीएल का लाभ
सरकार का कार्यकाल पूरा होगा इसी वर्ष
उत्तम जैन
जयपुर- सरकार के अच्छे कार्यों की तारीफ जब की जाती हैं जब बजट घोषणाएं धरातल पर लागू हो जाती हैं। अगर घोषणा भुला दिया जाता हैं तो उसे फिर वादाखिलाफी कहते हैं। बजट में घोषणा के बावजूद सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्राप्त करने वाले विशेष योग्यजन के परिवारों को बीपीएल के समकक्ष माने जाने के आदेश को आज 2 साल बाद भी दिव्यांगों को इसका लाभ लेने का बेसब्री से इंतजार करवाया जा रहा है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट 2021-22 में इस योजना की घोषणा की थी की सभी दिव्यांगों को बीपीएल श्रेणी का लाभ दिया जाएगा। लेकिन आज तक इस संदर्भ में आगे कार्यवाही नहीं की गई एवं शासन सचिव ने इस योजना को कागजों में ही लागू करने के लिए गोलमाल आदेश जारी कर दिए जिसमें 30 दिसंबर 2022 को विशेष योग्यजन निदेशालय के दिशा निर्देशों के अनुसार कहा गया कि इसका लाभ तभी दिया जाएगा जब लाभार्थी सौ प्रतिशत दिव्यांग होगा। जबकि दिव्यांग सर्टिफिकेट जारी करने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि कि प्रार्थीयो के दिव्यांग के प्रमाण पत्र 21 श्रेणियों में बनाए जाते हैं जिनमें 19 श्रेणियों में ही 80% तक ही उन्हें दिव्यांग प्रणाम पत्र दिये जाते हैं। शेष रही दो श्रेणियों के लिए सौ फीसदी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाए जाते हैं। जिससे प्रदेश के लाखों दिव्यांगों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा।
निदेशालय को नहीं पता है कहां, कैसे और कब आवेदन करना है इस योजना का लाभ लेने के लिए-
दिव्यांग अधिकार महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ हेमंत भाई गोयल ने इस संदर्भ में आरटीआई लगाई तो चौंकाने वाली जानकारी प्राप्त हुई इसमें पूर्णत नही बताया गया कि की कौन-कौन सी योजनाएं जो दिव्यांगो की सेवार्थ चलाई जा रही हैं। इसके लिए कोई गाइडलाइन अभी तक विशेष योग्यजन आयुक्तालय द्वारा कोई भी दिशानिर्देश जारी नहीं किए गए।
यह लाभ मिलना था राजस्थान के दिव्यांगजनों को-
सीएम की 2021-22 बजट घोषणा के तहत प्रदेश भर के सामाजिक सुरक्षा पेंशन पाने वाले राजस्थान के लाखों दिव्यांगों को बीपीएल के समकक्ष माना जाएगा एवं इस योजना के तहत विशेष योग्यजनो को निम्नलिखित लाभ देय थे।
- सुरक्षा योजना अधिनियम के तहत मुक्त खाद सामग्री।
- चिरंजीवी हेल्थ स्कीम के तहत 850 रुपये की छूट।
- घरेलू बिजली बिल माफ करने की पूर्णत: छूट
- हर साल 12 रसोई गैस सिलेंडर 500-500 रुपये में मिलने वाली जैसी अनेक योजनाओं का लाभ इस योजना के तहत मिलना था।
विधानसभा में भी उठ चुका है दिव्यांगो का ये मामला-
अलवर शहर भाजपा विधायक संजय शर्मा पहले ही मांग कर चुके हैं की पात्र दिव्यांगजनों को बीपीएल के कार्ड बनाए जाएं। पूर्व विशेष योग्यजनआयुक्त खिल्लीमल जैन ने भी सीएम को पत्र लिखकर दिव्यांगजनों को इस योजना के तहत बीपीएल कार्ड बनवाने की मांग की है ताकि समय रहते दिव्यांगों को इस योजना का लाभ मिल सके।
एक्सपर्ट की राय-
एमपी अस्पताल के पूर्व अतिरिक्त अधीक्षक और विकलांगता प्रमाण पत्र के प्रभारी रहे डॉक्टर रमेश जोशी व अन्य विशेषज्ञ बताते हैं कि केंद्र सरकार के आरपीडब्ल्यूडी एक्ट- 2016 के अनुसार विशेष योग्यजनों को दिव्यांग का प्रमाण पत्र 21 श्रेणियों में बनाए जाते हैं। जिला स्तर पर सीएमएचओ और संभाग स्तर पर मेडिकल कॉलेज प्रशासन यह प्रमाण पत्र बनाते हैं। सौ प्रतिशत दिव्यांगता का प्रमाण पत्र सिर्फ दोनों आंखों के पूरी तरह से खराब होने व थैलेसीमिया होने पर ही बनाया जाता है। जबकि शेष 19 श्रेणियों में अधिकतम 80% ही विकलांगता प्रमाण पत्रों में दर्शाई जाती है।
100% विकलांग प्रमाण पत्र का मतलब व्यक्ति जीवित रहना मुश्किल है। जबकि मुख्य रूप से 80% ही विकलांगता दर्शाई जाती है एवं 70-80 पर्सेंट दिव्यांगता का मतलब पूर्ण रूप से दूसरों पर आश्रित होना है। ऐसे में 100% विकलांगता प्रमाण पत्र की शर्त पूर्ण रूप से अव्यवहारिक है।
जिलों में दिव्यांगता का औसत-
एक विशेष जानकारी के अनुसार जयपुर जिले में सर्वाधिक दिव्यांग है। जिनकी संख्या लगभग 40 हजार से उपर है। एवं सबसे न्यूनतम व कम दिव्यांग प्रतापगढ़ जिले में है। जिनकी अनुमानित संख्या नो हजार के आसपास है।
इस तरह से सौ प्रतिशत दिव्यांगता की सरकार द्वारा बीपीएल में शामिल होने की जो शर्त है एवं जो निदेशालय के आदेश हैं एक्सपर्ट के अनुसार वे पूर्ण रूप से आधारहीन एवं अव्यहारिक है, शीघ्र ही इस संदर्भ में सरकार को संज्ञान लेकर प्रदेश के सभी दिव्यांगो को इस योजना का लाभ पूर्ण रूप से देना चाहिए।