राहत:दिव्यांग व महिलाओं के लिए पीएचडी में 10 साल की समय सीमा तय
सुखराम मीणा/दिव्यांग जगत
जयपुर-पिछले माह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने पीएचडी उपाधि संबंधी जारी नए निर्देशों को भी विश्वविद्यालय द्वारा अनुमोदित किया गया। नए शोधार्थियों के लिए यही नियम रहेंगे। विश्वविद्यालय के मीडिया प्रवक्ता डॉ. मनोज पंड्या ने बताया कि नए प्रावधानों के तहत अब प्रोफेसर को 8, एसोसिएट प्रोफेसर को 6, तथा असिस्टेंट प्रोफेसर को 4 पीएचडी स्कॉलर आवंटित किए जाएंगे। टीएसपी क्षेत्र के लिए पहले से चला आ रहा एक सुपर न्यूमैरिक सीट का प्रावधान यथावत रखा गया है। पीएचडी करने के लिए न्यूनतम 3 वर्ष और अधिकतम 8 वर्ष की सीमा तय की गई है।
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दिव्यांगों और महिलाओं के लिए यह छूट अधिकतम 10 साल तक रहेगी। नई शिक्षा नीति में किए गए प्रावधान में 4 साल वाले स्नातक इंटीग्रेटेड परीक्षा में 75 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी भी अब पीएचडी में दाखिला ले पाएंगे। थीसिस में शोधपत्र प्रकाशन की बाध्यता को भी समाप्त कर दिया गया है। गाइड बदलने के नियम में भी बदलाव एकेडमिक काउंसिल में पीएचडी शोध के दौरान गाइड बदलने के नियम में भी बदलाव कर नियम पारित किया गया। पहले विद्यार्थी की इच्छा या प्रशासन द्वारा तय किए गए नियमों के तहत विशेष परिस्थितियों में गाइड बदल दिया जाता था, लेकिन अब गाइड बदलाव के बाद नए गाइड के साथ शोधार्थी को कम से कम 2 साल काम करना होगा। उसके बाद ही वह अपना शोध कार्य सबमिट कर पाएगा। नए गाइड का नाम भी डिपार्टमेंटल रिसर्च कमेटी के स्तर पर तय किया जाएगा।