DESH KI AAWAJ

जोधपुर के उत्कर्ष की कहानी,उत्कर्ष की जुबानी

पोस्टर चिपकाने से पेज थ्री तक का सफर…
दो दशक से उत्कर्ष की यात्रा को निकटता से देखा है |
सालावास के युवाओं को सपने साकार करने में आपके भगीरथ प्रयास हेतु वंदन…इस तरह के कार्य हेतु हमारा गांव, विश्वविद्यालय सदैव आपका ऋणी रहेगा…
पहले स्मार्ट रूम हेतु इक्कीस लाख, फिर एक ही झटके में विद्यालय हेतु 24 किलोवाट का जनरेटर और अब सालावास के सरकारी विद्यालय के सभी विद्यार्थियों हेतु फ्री ऑनलाइन एजुकेशन!!!!
आज उत्कर्ष बीसवें वर्ष में प्रवेश कर रहा है | उन्हें ढेरों बधाई एवम् शुभकामनाएं| आज मैं लिख रहा हूं, उस व्यक्तित्व एवं संस्थान की कहानी, जिन्होंने पिछले दो दशक से अपने मजबूत संकल्पों से कई जिंदगियां बदल दी | सतत मेहनत, लक्ष्योन्मुखता, नवाचार, समाज को पुनः लौटाने का भाव, गुणवत्ता से समझौता नहीं करने की जिद तथा सूचना प्रौद्योगिकी से अथाह प्रेम ने उत्कर्ष एवं श्री निर्मल गहलोत को एक ब्रांड बना दिया है |

युवाओं के रोल मॉडल-निर्मल गहलोत

वे एक असाधारण व्यक्तित्व है | वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने का संपूर्ण परिदृश्य परिवर्तित करने के सूत्रधार है | प्रतियोगियों का मार्गदर्शन कर उन्हें कैरियर बनाने के साथ-साथ नागरिकता का पाठ पढ़ाने वाले श्री निर्मल गहलोत युवाओं के लिए आदर्श है, सेलिब्रिटी है | उन्होंने उत्कर्ष को प्रबंधकीय स्वरूप प्रदान कर उद्यमशीलता का एक नया मॉडल समाज को प्रदान किया |

दो दशकीय उत्कर्षमय यात्रा

2002 में उत्कर्ष की स्थापना के समय प्रथम विद्यार्थी के रूप में जब मैंने प्रवेश लिया तो उत्कर्ष शब्द का उच्चारण मुझे बहुत कठिन अनुभूत हो रहा था | आज 19 वर्ष बाद जब मैं देखता हूं तो हर प्रतियोगी, जरूरतमंद तथा विचारशील नागरिक के जुबान पर उत्कर्ष ही उत्कर्ष है | गुणवत्तायुक्त ऑनलाइन एजुकेशन ने उन्हें दक्षिण के धनुष्कोटी तक पहुंचा दिया है तो आसाम में विद्यार्थी चाय पर चर्चा उत्कर्ष के साथ प्रारंभ करता है | आज मेरे समक्ष कई प्रश्न हैं | 19 वर्षों की इस उत्कर्षमय यात्रा को क्या नाम दूं ? क्या उत्कर्ष केवल एक संस्थान है जो अभ्यर्थियों का मार्गदर्शन करता है ? पीछे मुड़कर जब इस स्वर्णिम यात्रा को देखता हूं तो यह एक फिल्म की भांति लगता है | छोटे से एक कमरे से प्रारंभ यह यात्रा किस तरह एक महल का स्वरूप ले चुकी है वह अपने आप में एक मिसाल है |

पोस्टर चिपकाने से पेज थ्री तक का सफर

उत्कर्ष के निदेशक, गुरुवर और बड़े भाई श्री निर्मल गहलोत इस फिल्म के नायक हैं, निर्माता है और निदेशक भी है | बाइक पर सवार स्वयं अपने संस्थान के पोस्टर चिपकाते श्री निर्मल गहलोत को मैंने अपनी आंखों से देखा है | वे किस तरह से 19 वर्षों में लोगों के हृदय में निरंतर जगह बनाते गए | वह स्वयमेव मिसाल है |
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले एक संस्थान, फिर एक स्वयंसेवी संस्था के रूप में समाज सेवा और पिछले कुछ वर्षों से सरकार की भांति राष्ट्र निर्माण में योगदान देता उत्कर्ष के कोई समकक्ष नहीं है | हमेशा 17/18 घंटे काम करने वाले श्री निर्मल गहलोत में तथ्यों एवं मूल्यों का बेजोड़ समन्वयन है | कंप्यूटर की भांति मस्तिष्क एवं 360 डिग्री सोच के कारण इन्होंने एक विशेष प्रकार की नेतृत्व शैली स्थापित की है | एक पैसे की भी बर्बादी के प्रति कठोर व्यवहार रखने वाले श्री निर्मल गहलोत ने समाज सेवा हेतु करोड़ों रुपए हंसते-हंसते प्रदान करते रहे है |

राष्ट्र निर्माण के यज्ञ में आहुति

जोधपुर जैसी अपेक्षाकृत छोटे शहर में जन्म भूमि एवं कर्मभूमि दोनों होने के बावजूद संपूर्ण भारत में अपनी गुणवत्ता, प्रबंधन शैली , परिणामोन्मुखता, समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण के नए आयाम स्थापित किए हैं | राष्ट्रीय आपदाओं में सबसे पहले, सबसे आगे रहने की इनकी प्रवृत्ति ने इन्हें एक विशेष लक्षणों से युक्त नागरिक बनाया है | निर्मल ऋण योजना और कोरोना संकट के दौरान उत्कर्ष के द्वार को जिस तरह से समाज के लिए खोला गया यह पुराने जमाने के दयालु राजाओं की स्मृतियों को ताजा कर देता है | देश के पहले ऑक्सीजन बैंक की स्थापना में अपनी प्रथम व निर्णायक भूमिका ने इन्हें मारवाड़ का सर्वाधिक लाडला व्यक्ति बना दिया है | यह उनकी मातृभूमि के प्रति अगाध प्रेम और दानशीलता को प्रकट करता है |

सफलता शोध का विषय

एक बात तय है कि जब कभी भी प्रशासनविज्ञ नेतृत्व शैलियों पर चर्चा करेंगे,श्री निर्मल गहलोत एवम् उत्कर्ष की यात्रा उनके लिए केस स्टडी के रूप में उपलब्ध रहेगी | प्रबंधन तथा लोक प्रशासन के अध्येता व शोधार्थियों के लिए उत्कर्ष की यात्रा एवं कार्य संस्कृति अनुसंधान के नूतन आयाम खोल सकती है |

एक बार फिर उत्कर्ष व उनके माननीय निदेशक श्री निर्मल गहलोत को ढेरों बधाई तथा ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उन्हें सदैव इसी प्रकार विद्यार्थी हितेषी, समाज सेवी बनाए रखें |
मेरा गांव और विशेषकर विद्यार्थी सदैव आपके योगदान हेतु ऋणी रहेगें |

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