मेरठ. उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के हस्तिनापुर से लेकर गढ़मुक्तेश्वर तक का इलाका खादर क्षेत्र में आता है। खादर मतलब गंगा के किनारे का रेतीला क्षेत्र। एक तरफ जहां ये क्षेत्र कृषि के लिए सोना है वहीं जीव-जंतु की विविधता वाला भी है। लेकिन इसी खादर क्षेत्र जहां बड़े पैमाने पर कच्ची देशी शराब बनाई जाती है। वहीं दूसरी ओर इस खादर क्षेत्र से दो मुंहा सांप यानी रेड सेंड बोआ की तस्करी भी चोरी-छिपे की जाती है। दो मुंहा सांप की अंतर्राष्ट्रीय बाजार के अलावा दवाई कंपनियों में बड़े पैमाने पर डिमांड है। बताया जाता है कि इन दो मुंहा सांप से सेक्सवर्धक दवाई बनाई जाती है। दो मुंहा सांप का प्रयोग दवाई कंपनियां यौनवर्धक दवाई बनाने के लिए करती हैं।
सांप पकड़ने वालों की मानें तो दो मुंहा सांप भी कई प्रकार का होता है। मेरठ के खादर में मिलने वाला दो मुंहा सांप आमतौर पर मटमैले और हल्के पीले और लाल धारियों वाला होता है। हालांकि ये इतना उपयोगी नहीं होता जितना कि पूरा लाल रंग का दोमुहा सांप उपयोगी होता है। सपेरे कई लोगों के समूह में दोमुंहा सांप की तलाश में निकल जाते हैं और जहां पर इसके मिलने की संभावना होती है वहां पर जमीन के भीतर से खोदकर सांप निकाला जाता है। नाम न छापने की शर्त पर एक सपेरे ने बताया कि दो साल पहले उसने एक दोमुंहा लाल रंग का सांप 1 लाख 25 हजार रुपये में बेचा था। उस सांप को पकड़ने में एक सप्ताह लगे थे और छह लोगों ने उसे पकड़ा था। उसने बताया कि दो मुंहा सांप अपने बचाव के लिए जमीन में काफी नीचे चला जाता है। जहां से इसको पकड़ना काफी मुश्किल होता है।
यौन शक्ति के साथ एड्स की बीमारी के इलाज में भी कारगर
दो मुंहा सांप को रेड सेंड बोआ भी कहते हैं। जानकारों का कहना है कि इस सांप की तस्करी में उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, मध्य प्रदेश और हरियाणा शामिल हैं। 1972 में सरकार ने इन सांप को बचाने के लिए अन्य पांच जीवों के साथ इसे भी संरक्षित जीव की श्रेणी में रखा था। तब से इसके मारने और पकड़ने पर प्रतिबंध है। दो मुंहे सांप का इस्तेमाल विशेष रूप से तांत्रिक क्रियाओं में किया जाता है। इसके अलावा इसको उपयोग यौनवर्धक दवाइयों के बनाने में किया जाता है। सांप की तस्करी यहां से दिल्ली की जाती है। वहां से यह देश के बाहर चीन और अरब जैसे देशों को भेजा जाता है। इससे बनी दवाइयों के प्रयोग से यौन शक्ति में बढ़ोतरी होती है। इसके साथ ही एड्स जैसी खतरनाक बीमारी का भी इलाज भी इससे संभव है।
देश में कौड़ियों के भाव और विदेश में करोड़ों रुपये में डिमांड
खादर क्षेत्र में दोमुंह सांप को पकड़ने पर पकड़ने वाले सपेरों को दाम भी कौड़ियों के मिलते हैं। जबकि वहीं दोमुंही जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पहुंचती है तो उसके दाम करोड़ों में हो जाते हैं। हालांकि वन विभाग की पैनी नजर इस क्षेत्र पर रहती है। लेकिन फिर भी तस्करी के लिए सपेरों द्वारा इन सांपों को पकड़कर पेट की खातिर कम दामों में बेंच दिया जाता है।
इन चीजों के लिए भी होता है इस्तेमाल
यौनवर्धक दवाइयों के अलावा इस सांप की खाल का प्रयोग पर्स, जूता, जैकेट, बेल्ट और अन्य चीजों में किया जाता है।