दिव्यांग शशि पाल ने बिहार की सोनम से लिए सात फेरे, अस्पताल में हुई थी मुलाकात
गगरेट- कहते हैं शादी से पहले दो लोगों की कुंडली का मिलान करना जरूरी है, ताकि गुण दोष देखे जा सकें। लेकिन जिस जोड़ी को भगवान बनाकर भेजे उस जोड़े की कुंडली मिलाने की जरूरत ही नहीं रहती। मामला ज़िला ऊना के नंगल खुर्द के शशि पाल का है। शशि पाल की करीब सात साल पहले एक जेसीबी मशीन के साथ दुर्घटना में रीढ़ की हड्डी में चोट आ गई थी और आजीवन दिव्यांग हो गए। लंबे उपचार के बाद शशि पाल अब व्हील चेयर पर ही अपने दैनिक कार्यकलाप करते हैं। ठीक ऐसी ही घटना बिहार के जिला मुंगेर के गांव छोटी गोविंदपुर फुल्का की रहने वाली सोनम के साथ हुआ। जिनकी अपने घर की छत से गिरने के कारण रीढ़ की हड्डी में चोट आ गई और वह भी आजीवन दिव्यांग हो गईं। दोनों की मुलाकात पीजीआइ में इलाज़ के दौरान हुई थी, इस दौरान ही दोनों में बात हुई थी व हमसफर बनने का फैसला ले लिया।
चाहे दोनों शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं। लेकिन मानसिक रूप से एक दूसरे के हो गए और दोनों ने विधिवत एक दूसरे को जीवन साथी चुन लिया। दोनों की जोड़ी देखकर हर कोई ये कहा रहा है तेरी रब ने बना दी जोड़ी। शशि और सोनम ने 3 अगस्त को ऊना न्यायलाय में कोर्ट मैरिज कर ली और गांव वालों के लिए शुक्रवार को रिसेप्शन कर अपनी खुशी में सभी गांव वालों को बुलाया। शशि पाल ने बताया कि चाहे मेरी रीढ़ की हड्डी ने मेरा साथ नहीं दिया। लेकिन हम दोनों की जोड़ी से हम एक दूसरे का दर्द समझ सकते हैं।
लड़का 90 प्रतिशत तक दिव्यांग है और लड़की 100 प्रतिशत दिव्यांग है। शशिपाल के पिता राज मिस्त्री का कार्य करते हैं। जिलाधीश ऊना राघव शर्मा ने बताया सरकार की तरफ से इस युवक के शारीरिक दिव्यांगता का प्रमाण पत्र जांच कर वेलफेयर की तरफ से मदद की जाएगी, यदि युवक 74 प्रतिशत से ऊपर दिव्यांग हुआ तो 50 हजार रुपये वेलफेयर की तरफ से दिया जाएगा।