जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, वर्ष 2025 की प्रथम राष्ट्रीय लोक अदालत का हुआ सफल आयोजन

मुकेश वैष्णव/दिव्यांग जगत/अजमेर

अजमेर । जिला विधिक सेवा प्राधिकरण 22 मार्च को वर्ष 2025 की प्रथम राष्ट्रीय लोक अदालत का सफल आयोजन किया गया। लोक अदालत की भावना से बढ़ी संख्या में वादी व परिवादीगण ने अपने मसलों पर सहमति जताते हुए सुलह की व वर्षो से चल रहे विवाद एवं मानसिक व आर्थिक समस्याओं से मुक्ति पाई। चतुर्थ राष्ट्रीय लोक अदालत के आयोजन का शुभारंभ शनिवार को प्रातः 10 बजे दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव महेन्द्र कुमार ढ़ाबी, मोटर दुर्घटना दावा अधिनियम के न्यायाधीश नीरज कुमार भारद्वाज, पारिवारिक न्यायालय संख्या 01 के न्यायाधीश महावीर प्रसाद गुप्ता, संजय सिंह एलडीएम तथा अन्य अधिकारीगण एवं अधिवक्तागण उपस्थित रहे। इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव महेन्द्र कुमार ढ़ाबी ने जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत के सफल आयोजन के क्रम में जनवरी माह से ही तैयारिया शुरू कर दी गई थी। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जिला एवं सेशन न्यायधीश के अध्यक्ष श्रीमती संगीता शर्मा एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश के सचिव महेन्द्र कुमार ढ़ाबी की अध्यक्षता में न्याय क्षेत्र के विभिन्न न्यायिक अधिकारीगण के साथ बैठक आयोजित की जाकर लम्बित प्रकरणो के राजीनामे की भावना से निस्तारण के लिए समय-समय पर आवश्यक दिशा निर्देश दिए। सचिव द्वारा अजमेर न्याय क्षेत्र की विभिन्न बार काउंसिल के अधिवक्तागण के साथ चर्चा की गई। उन्हें अधिकाधिक प्रकरणों के निस्तारण के लिए प्रेरित किया गया। उन्होंने अधिवक्तागण को पक्षकारों को लोक अदालत की भावना के अनुरूप राजीनामे से प्रकरणों के निस्तारण करवाने के आवश्यक निर्देश दिए ताकि पक्षकारान को शीघ्र न्याय प्राप्त हो सके। इसके अतिरिक्त राजस्व प्रकरण, प्री-लिटिगेशन प्रकरणों को अधिक से अधिक राष्ट्रीय लोक अदालत में रखने के लिए विभिन्न विभागो के नोडल अधिकारी, बैंक एवं निजी वित्तीय संस्थान के साथ समय-समय पर बैठक की गई। इन सभी प्रयासो के फलस्वरूप ही वर्ष की प्रथम राष्ट्रीय लोक अदालत का सफल आयोजन संभव हो सका है। राष्ट्रीय लोक अदालत के सफल आयोजन के लिए मुख्यालय पर 10 बेंचो का गठन किया गया। न्यायालयों के लिए 6 बेंच, राजस्व मंडल के लिए एक बेंच, राजस्व प्रकरणों के लिए एक बेंच, तथा स्थाई लोक अदालत एवं जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग द्वारा चिन्हित किए गए प्रकरणों के लिए एक बेंच, प्री लिटिगेशन प्रकरणों के लिए बेंच गठित की गई है। ब्यावर, किशनगढ़, केकड़ी, तालुका पर दो दो बेंच जिनमें एक न्यायालयों द्वारा चिन्हित किए गए प्रकरणों के लिए तथा एक बेंच राजस्व प्रकरणों के लिए गठित की गई। नसीराबाद, सरवाड़, विजयनगर, पुष्कर, मसूदा के लिए एक -एक बेंच गठित की गई। इस प्रकार कुल 21 बैंच गठित की गई है। इस प्रकार कुल 21 बेंचों का गठन किया जाकर प्रकरणो के अधिकाधिक निस्तारण का प्रयास किया गया। प्रत्येक बेंच में न्यायिक प्रकरणों के लिए गठित की गई बेंच में एक पैनल अधिवक्ता को सदस्य बनाया गया तथा राजस्व प्रकरणों के लिए गठित की गई बेंच में सेवारत राजस्व अधिकारी को सदस्य बनाया गया। मुख्यालय पर स्थित समस्त पैरा लीगल वोलेंटियर्स की ड्यूटी लोक अदालत के प्रचार प्रसार एवं हेल्प डेस्क पर लगाई गई।
अतिरिक्त राष्ट्रीय लोक अदालत के व्यापक स्तर पर प्रचार प्रसार के क्रम में विभाग के पैरा लीगल वोलेंटियर्स द्वारा आयोजित किये जाने वाले विधिक जागरूकता शिविरों के माध्यम से पैम्पलेट वितरित किए गए, विभिन्न दर्शनीय स्थानों पर पोस्टर लगवाए गए एवं आम जन को लेाक अदालत का महत्व एवं लाभों की जानकारी दी गई । इसी क्रम में मोबाइल वैन के द्वारा विभिन्न गांवों एवं शहरी क्षेत्र के इलाकों में विधिक जागरूकता दी गई।
अजमेर न्याय क्षेत्र में लम्बित 1 लाख से 2 लाख रू तक की राशि के एन. आई एक्ट के समस्त लम्बित प्रकरणों में पक्षकारान् को प्री काउसलिंग हेतु नोटिस जारी किए गए तथा निरन्तर प्री काउसलिंग आयोजित की गई।
इसी के साथ वाणिज्यिक न्यायालय में कुल 70 प्रकरणों को चिन्ह्ति किया गया। इसमें से 13 प्रकरण का निस्तारण गया तथा जिसमें 11327941 रूपए की राशि का अवार्ड पारित किया गया। मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण में 1026 प्रकरणों को चिन्ह्ति किया गया जिसमें से 187 प्रकरण का निस्तारण गया तथा इसमें 98302169 राशि का अवार्ड पारित किया गया। महेन्द्र ढ़ाबी ने बताया कि न्याय क्षेत्र की विभिन्न न्यायालयों में प्री लिटिगेशन से संबंधित धन वसूली के सभी प्रकार के विवाद से सम्बन्धित 231520 मामले रखे गए। इनमें से 216391 मामलों का निस्तारण हुए व कुल 66116006 रुपए की अवार्ड राशि दी गई।
धारा 138 एन.आई. एक्ट से सम्बन्धित कुल 13714 मामले रखे गए जिनमें से 614 मामले निस्तारित हुए एवं कुल 118449215 रुपए की अवार्ड राशि दी गई। इसके अलावा अन्य सिविल मामलों में 1876 मामले, वैवाहिक विवाद, बालको की अभिरक्षा, भरण पोषण में 193 प्रकरण निस्तारित किए गए । इस प्रकार राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 581562 मामले रखे गए जिनमें से 546788 मामलों का निस्तारण हुआ और 324991171 रुपए की अवार्ड राशि हुई पारित।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण

श्रम न्यायालय एवं औधोगिक न्यायाधिकरण

सफलतम कहानी राष्ट्रीय लोक अदालत शनिवार को

लोक अदालत में 41 प्रकरण नियत किए गए थे। इसमें से 32 प्रकरणों का निस्तारण लोक अदालत की भावना से किया गया है। कर्मचारी प्रतिकर अधिनियम 1923 के कुल 21 प्रकरणों में जो कि प्रतिकर की राशि की वसूली से सम्बन्धित थे उनमें पूर्ण वसूली होने से उक्त प्रकरणों का निस्तारण लोक अदालत की भावना से किया गया। 6 दीवानों प्रकरणों का निस्तारण भी लोक अदालत से किया गया। 4 कर्मचारी प्रतिकर अधिनियम 1923 के मामलों में जिनमें से प्रकरण संख्या ईसीए 31/2025 मीरादेवी व अन्य बनाम सत्यनारायण जाट में 9,21,000/- रूपए, एलसीसी 43/2024 आनंद जैन बनाम ब्यूटी रिले के प्रकरण में 43,000/- रुपए एवं प्रकरण संख्या ईसीए 76/2023 रामेश्वर बनाम हरिकेश के प्रकरण में 75,000/- रूपए में राजीनामा होने के पश्चात प्रकरणों का लोक अदालत की भावना से निर्णय पारित किया गया। इस प्रकार कुल राशि रूपये 10,39,000/-रूपए के अवार्ड पारित किए गए।
इस लोक अदालत में बेंच संख्या-2 के अध्यक्ष महावीर प्रसाद गुप्ता, रीडर भावनदास, सदस्य शफीक मौहम्मद एवं धर्मेन्द्र शर्मा एडवोकेट, मुकेश दवे एडवोकेट, गणेशीलाल एडवोकेट एवं अरूण कुमार पाण्डे एडवोकेट का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण
न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय संख्या 01

(1) श्रीमती नेहा (बदला हुआ नाम) एवं राहुल (बदला हुआ नाम) इस प्रकरण में दोनों पक्षकारान का विवाह माह जनवरी, 2019 में सम्पन्न हुआ था। उनके विवाह संबंधों से एक पुत्रा का जन्म अगस्त, 2020 में हुआ। विवाह के कुछ माह बाद ही प्रार्थीगण के आपस में विचार नहीं मिलने से वैचारिक मतभेद उत्पन्न हो गया तथा प्रार्थीगण के बीच छोटी-छोटी बातों पर अनबन होने लग गई। इन वैचारिक मतभेदों के चलते प्रार्थीगण के मध्य मनमुटाव कायम हो गया। एवं दोनों प्रार्थीगण के बीच आपस में वैचारिक मतभेद इतने अत्यधिक बढ़ गए कि दोनों का एक साथ रहकर पति-पत्नी के रूप में रहना संभव नहीं रहा। प्रार्थीगण को तलब किया गया तथा उसके न्यायालय में उपस्थित आने पर दोनों पक्षों को न्यायाधीश द्वारा समझाया गया कि विवादों को भुलाकर राजीखुशी साथ-साथ रहे। न्यायाधीश द्वारा समझाईश किए जाने पर दोनो पक्षों में लोक अदालत की भावना से राजीनामा हुआ और वे वर्तमान में एक-दूसरे के साथ बतौर पति-पत्नी राजीखुशी रह रहे है, जिससे उनका नवविवाहित जीवन बच गया। लोक अदालत के माध्यम से विवादों का निपटारा होने पर अब पक्षकारान सुखमय वैवाहिक जीवन व्यतीत कर सकेंगे।
श्रीमती दीपिका (बदला हुआ नाम) व राकेश (बदला हुआ नाम) प्रस्तुत प्रकरण में प्रार्थी व अप्रार्थिया का विवाह मार्च, 2019 में हुआ था एवं उनके विवाह संबंधों से एक पुत्र का जन्म अक्टूबर, 2020 में हुआ। विवाह के कुछ वर्ष बाद प्रार्थीगण के आपस में विचार नहीं मिलने से वैचारिक मतभेद उत्पन्न हो गया तथा प्रार्थीगण के बीच छोटी-छोटी बातों पर अनबन होने लग गई। तत्पश्चात पक्षकारान के मध्य उत्पन्न मतभेद नहीं सुलझ पाए। फिर प्रार्थीगण को तलब किया गया तथा उसके न्यायालय में उपस्थित आने पर दोनों पक्षों को महावीर प्रसाद गुप्ता, न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय संख्या एक एवं रामेश्वर प्रसाद चौधरी न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय संख्या 2 तथा न्यायमित्र अधिवक्ता सुशील कुमावत द्वारा समझाया गया कि विवादों को भुलाकर राजीखुशी साथ-साथ रहे। न्यायाधीश एवं न्यायमित्रा द्वारा समझाईश किए जाने पर दोनो पक्षों में लोक अदालत की भावना से राजीनामा हुआ और वे वर्तमान में एक-दूसरे के साथ बतौर पति-पत्नी राजीखुशी रह रहे है। इससे उनका नवविवाहित जीवन बच गया। लोक अदालत के माध्यम से विवादों का निपटारा होने पर अब पक्षकारान सुखमय वैवाहिक जीवन व्यतीत कर सकेंगे।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण

न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय संख्या 2 अजमेर सफल कहानी

श्री कृष्णा (बदला हुआ नाम) व श्रीमती कोमल (बदला हुआ नाम) प्रस्तुत प्रकरण में दोनों पक्षकारान का विवाह 2020 में हुआ था। उनके विवाह संबंधों से एक पुत्र का जन्म अप्रेल, 2021 में हुआ, प्रार्थीगण के मध्य लड़ाई-झगड़े होने लगे तथा प्रार्थीगण के व्यवहार में परिवर्तन आने लगे और प्रार्थीगण के वैवाहिक जीवन को बचाने के लिए सभी परिजनों द्वारा प्रयास किए गए। लेकिन संभव नहीं हो सका। फिर मंगलवार को बैंच के समक्ष दोनों पक्षों के मध्य बैंच के अध्यक्ष महावीर प्रसाद गुप्ता, न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय संख्या एक एवं रामेश्वर प्रसाद चौधरी न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय संख्या 2 अजमेर द्वारा विवादों को भुलाकर एकसाथ राजी खुशी रहने के लिए समझाया गया। इस पर अप्रार्थिया प्रार्थी के साथ राजीखुशी रहने को तैयार हुई और प्रार्थी व अप्रार्थिया साथ साथ निवास करने के लिए राजी होकर साथ साथ गए। समझाईश किए जाने से दोनों पक्षों के मध्य लोक अदालत की भावना से राजीनामा हो गया। दोनों पक्ष साथ साथ रहने के लिए तैयार हो गए। लोक अदालत के माध्यम से विवादों का निपटारा होने पर अब पक्षकारान सुखमय वैवाहिक जीवन व्यतीत कर सकेंगे व उनके पुत्र को माता-पिता दोनों का स्नेह व प्यार मिल सकेगा।

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