मुकेश वैष्णव/दिव्यांग जगत/अजमेर
अजमेर । जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, अजमेर में बीसीएलएस (बेसिक कार्डियोपल्मोनरी लाइफ सपोर्ट) और सीसीएलएस (कॉम्प्रिहेंसिव कार्डियोपल्मोनरी लाइफ सपोर्ट) प्रशिक्षण कार्यक्रम का 3 दिवसीय सफल आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन डॉ. पूजा माथुर, नोडल अधिकारी, स्किल लैब द्वारा किया गया, जिसका उद्घाटन
डॉ. अनिल समारिया, प्राचार्य, जेएलएन मेडिकल कॉलेज, अजमेर ने किया।
उद्घाटन सत्र में
डॉ. अनिल समारिया ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य
स्वास्थ्यकर्मियों को आपातकालीन परिस्थितियों में जीवन रक्षक तकनीकों में दक्ष बनाना है, ताकि वे संकट की स्थिति में त्वरित और प्रभावी निर्णय लेकर मरीज का जीवन बचा सकें। उन्होंने कहा कि
सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) और अन्य जीवन रक्षक तकनीकों का सही समय पर और सही तरीके से प्रयोग करना आपात स्थितियों में मरीज को जीवित रखने में अहम भूमिका निभाता है।
सिमुलेशन आधारित प्रशिक्षण का महत्व
इस कार्यक्रम में
सिमुलेशन आधारित प्रशिक्षण पर विशेष जोर दिया गया, जहां प्रतिभागियों को वास्तविक जीवन की आपात स्थितियों का अभ्यास कराया गया। सिमुलेशन के माध्यम से प्रतिभागियों को सीपीआर, एयरवे मैनेजमेंट, एईडी (ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर) के उपयोग और अन्य जीवन रक्षक तकनीकों को वास्तविक परिस्थितियों में कैसे लागू करना है, इसकी व्यवहारिक जानकारी दी गई। यह प्रशिक्षण न केवल प्रतिभागियों के आत्मविश्वास को बढ़ाता है, बल्कि उन्हें संकट की घड़ी में तेजी से निर्णय लेने और टीम वर्क को मजबूत करने में भी मदद करता है।
विशेष अतिथियों और अतिथि वक्ताओं का सम्मान
इस अवसर पर विभिन्न अतिथियों और विशेषज्ञ वक्ताओं का सम्मान किया गया।
डॉ. रसेश दिवान निदेशक, ट्रेनिंग एवं शिक्षा, इंडियन रिससिटेशन काउंसिल, ने जीवन रक्षक तकनीकों पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। डॉ. नवीन पालीवाल , प्रोफेसर, एनेस्थीसिया, एसएनएमसी, जोधपुर, ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की उपयोगिता पर प्रकाश डाला।
इस कार्यक्रम में डॉ. एल. एन. पांडे , वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी और राज्य नोडल अधिकारी, सड़क सुरक्षा एवं परिवहन विभाग, राजस्थान सरकार ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया। डॉ. पांडे ने ट्रॉमा केयर और सड़क दुर्घटनाओं में त्वरित जीवन रक्षक हस्तक्षेपों की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि
सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों के लिए समय पर सीपीआर और बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) का प्रदर्शन करना घायल व्यक्ति के जीवित रहने की संभावना को कई गुना बढ़ा सकता है।
तीन दिवसीय कार्यशाला: प्रशिक्षण के साथ ‘ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर्स’ भी
यह तीन दिवसीय कार्यशाला के रूप में आयोजित किया गया, जिसमें प्रतिभागियों को न केवल आपातकालीन स्थितियों में आवश्यक जीवन रक्षक तकनीकों का प्रशिक्षण दिया गया, बल्कि योग्य प्रतिभागियों के लिए ‘ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर्स’ (टीओटी) भी आयोजित किया गया। टीओटी का उद्देश्य भविष्य में प्रशिक्षकों का एक सशक्त समूह तैयार करना है, जो इस प्रशिक्षण को आगे विभिन्न संस्थानों और समुदायों तक पहुंचा सके।
राजस्थान के विभिन्न शहरों से प्रतिभागियों की भागीदारी
इस कार्यक्रम में जयपुर, उदयपुर और राजस्थान के अन्य शहरों से बड़ी संख्या में प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रति गहरी रुचि दिखाई और इस ज्ञान को अपने कार्यस्थलों पर लागू करने का संकल्प लिया।
डॉ. पूजा माथुर ने सभी अतिथियों, विशेषज्ञ वक्ताओं और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों से स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा और मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
