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दिव्यांगो के लिए इस महिला का जीवन समर्पित,व्हीलचेयर क्रिकेट में बड़ी उपलब्धि

दुर्घटना में हुआ चेहरा खराब, तो दिव्यांगों के लिए जीवन किया समर्पित, व्हीलचेयर क्रिकेट को दिया नया आयाम

भोपाल। मेरा 2015 में एक्सीडेंट हो गया था। उस समय चिकित्सकों ने मुझे 98 प्रतिशत मृत घोषित कर दिया था। दो दिन वेंटिलेटर और नौ दिन तक कोमा में रही। इसके बाद भी कई दिनों तक अस्पताल में ही भर्ती होना पड़ा। जब मुझे होश आया तो मेरा पूरा चेहरा खराब हो गया था। युवावस्था में ऐसी घटना हुई, इसलिए काफी अवसाद में चली गई थी। रोने लगी थी। फिर एक दिव्यांग खिलाड़ी का काल आया और वो मेरा हालचाल पूछने लगा। तभी एक दिन मेरे मन विचार आया कि मेरा तो सिर्फ चेहरा बिगड़ा है तो इतनी परेशान हूं, इनके शरीर में इतनी कमियां हैं फिर भी ये इतने खुश रहते हैं। इस बात से इतनी इंस्पायर हुई कि पूरा जीवन अब दिव्यांगजनों को ही समर्पित करना है। यह कहना है दिव्यांग कंट्रोल बोर्ड आफ इंडिया की सीईओ गजल खान का। वह शहर के ओल्ड कैंपियन मैदान में खेली जा रही दिव्यांगजन की राष्ट्रीय क्रिकेट प्रतियोगिता के आयोजन के चलते भोपाल पहुंची हैं। इस दौरान उन्होंने नवदुनिया से अपने अनुभव साझा किए।

क्रिकेट से संवार रहीं दिव्यांगों का जीवन

आगरा की रहने वाली गजल खान एक ऐसी युवती हैं, जिन्होनें व्हीलचेयर क्रिकेट को एक नया आयाम दिया और अब वर्तमान में वह दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड आफ इंडिया की सीईओ हैं। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इंटरनेशनल काउंसिल आफ व्हीलचेयर क्रिकेट की वाइस चेयरपर्सन और इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल फार द फिजिकली चैलेंज्ड की सेक्रेटरी आफ इंटरनेशनल अफेयर्स हैं।

आठ साल पहले हुईं थी दुर्घटना का शिकार

28 वर्षीय गजल खान ने बताया कि मेरा जन्म 24 दिसंबर 1994 को आगरा में मुस्लिम संयुक्त परिवार में हुआ। 22 दिसंबर 2015 का दिन था, मैं एमबीए द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा देने जा रही थी। जहां मेरा बीपी कम हो गया और मैं स्कूटी चलाते समय नीचे गिर गई और बेहोश हो गईं। मैंने नौ दिन बाद आगरा के एक अस्पताल के आइसीयू में अपनी आंखें खोलीं।

पिता से मिली दिव्यांगजन के लिए काम करने की प्रेरणा

गजल बताती हैं कि दिव्यांगजन के लिए काम करने की प्रेरणा मुझे मेरे पिता हारून राशिद से मिली। वह भारतीय टीम के मशहूर तेज गेंदबाज थे। उन्हें भी एक दुर्घटना का सामना करना पड़ा और उन्हें डाक्टरों की सलाह पर क्रिकेट छोड़ना पड़ा। उन्होंने दिव्यांग क्रिकेटरों को अपने हितों को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाने के लिए दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की स्थापना की। वह दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड आफ इंडिया के महासचिव भी हैं। गजल अंतरराष्ट्रीय व्हीलचेयर क्रिकेट परिषद की उपाध्यक्ष के तौर पर अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में देश का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।

दिव्यांगों के लिए शुरू की क्रिकेट लीग

गजल कहती हैं कि मैंने दिव्यांग व्यक्तियों के लिए पहली और सबसे बड़ी क्रिकेट लीग दिव्यांग प्रीमियर लीग डीपीएल टी-20 की शुरुआत की। वह बताती हैं कि मेरा मकसद दिव्यांग क्रिकेटरों को वही मान-सम्मान दिलाना और प्लेटफार्म दिलाना है, जो सामान्य खिलाड़ियों को मिलता है। इनके ही प्रयासों से आइपीएल की तर्ज पर दुबई के शारजाह इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम पर 2021 में दिव्यांग प्रीमियर लीग आईपीएल की तर्ज पर छह टीमों के बीच खेला गया।

भारत में दिव्यांग क्रिकेट की अच्छी प्रतिभाएं

उन्होंने बताया कि देश में दिव्यांग क्रिकेट की अच्छी प्रतिभा मौजूद हैं। ज्यादातर राज्यों में दिव्यांग क्रिकेट की शुरुआत हो गई है। बोर्ड ने लखनऊ में अपना सेंटर बनाया है, जहां दिव्यांग खिलाड़ियों को तैयार किया जा रहा है। यहां उन्हें क्रिकेट तकनीक के अलावा मनावैज्ञानिक रूप से भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि दिव्यांग पुरुष क्रिकेट की सफलता के बाद महिलाएं भी इस खेल में आगे आना चाहती हैं। कई महिलाओं ने मुझसे संपर्क किया। जिसके बाद मैंने कई राज्यों में दिव्यांग महिलाओं को क्रिकेट टीम तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी। महिला कोचों की व्यवस्था की जा रही है। अभी तक आठ राज्यों की टीमों तैयार किया गया है। भोपाल में पहली बार महिलाओं का दिव्यांग क्रिकेट कराने का विचार किया। दिव्यांग क्रिकेट एक ऐसा खेल है जो भारत में खेला जा रहा और अन्य देशों को प्रेरणा दे रहा है।

बीसीसीआइ से चल रही बात

उन्होंने बताया कि अभी दिव्यांग क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) से भी लंबे समय से चर्चा चल रही है। अगर उनका सपोर्ट मिलता है तो हम और बेहतर तरीक से दिव्यांग क्रिकेट को दुनिया के सामने ला सकते हैं। उम्मीद है कि बीसीसीआइ हमें जरूर सपोर्ट करेगा।

गजल पर बनी चुकी है डाक्यूमेंट्री

गजल पर एक छोटी-सी डाक्यूमेंट्री भी बन चुकी है, जिसमें उनके जीवन के संघर्षों को बयां किया गया है कि उन्होंने किस तरह मौत को मात देकर आज देश-विदेश में नाम रोशन किया है। उन्हें कई संस्थाओं द्वारा पुरस्कार भी मिल हैं। जिसमें ग्लोबल एक्सीलेंस अवार्ड, आइकंस आफ एशिया अवार्ड भी शामिल हैं। गजल बताती हैं कि मुझे इंटरनेट मीडिया पर लोगों का समर्थन मिलता है, जिससे मेरी ऊर्जा में और वृद्धि होती है। मेरी सरकार से मांग है कि जो सामान्य खिलाड़ी को सम्मान और फायदे मिलते हैं, वही दिव्यांग खिलाड़ी को भी मिलना चाहिए जिससे उनका हौसला और बढ़ेगा।

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