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पुस्तक ज्ञान की आत्मा है जो अमर है उसे टटोलो- नायक

पुस्तक ज्ञान की आत्मा है जो अमर है उसे टटोलो- नायक

सेड़वा- विश्व पुस्तक दिवस के पावन अवसर पर राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सोनड़ी में पुस्तक का जीवन में महत्व विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रधानाचार्य रमेश कुमार नायक ने कहा कि पुस्तक ज्ञान की आत्मा है आत्मा को टटोला आपको अथाह भंडार मिलेगा कि जो मैं अध्ययन कर रहा हूं वह सही है पुस्तक भ्रम को दूर करती है और ज्ञान की ओर आगे बढ़ाती है इसलिए व्यक्ति को जिसने पुस्तक को अपने जीवन का अंग माना है और उनको धारण किया है दुनिया में अमर हो गया है इसलिए हर व्यक्ति को अपने जीवन में हर पल पुस्तक से सीखी बात को अपने जीवन में उतारे हैं।
विद्यालय के अध्यापक मोहनलाल खिलेरी ने बताया कि विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सोनड़ी में शिक्षकों की संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें हिन्दी व्याख्याता मंगलाराम पायलिया ने कहां की किताबें हमें संस्कारित करती हैं ज्ञान देती है अनुभव बढ़ाती है मार्ग प्रशस्त करती है किताबें कभी गलत सलाह नहीं देती किताबों की दुनिया बड़ी विचित्र दुनिया होती है जो इसमें रम जाता है उसे किसी बड़े गुरु की जरूरत नहीं होती।विश्व के महान लोगों के घरों में बड़े बड़े पुस्तकालय थे जिनमें हजारों की संख्या में किताबें होती थी किताबें ही उनकी सच्ची दोस्त, मार्गदर्शक होती थी दुनिया का सबसे बड़ा खजाना कहीं है तो किताबों में ही है किताबें ही हमारी सच्ची मित्र होती है। हिंदी व्याख्याता रामकिशन जांगू ने कहा कि पुस्तकें सबसे महान गुरु और सच्ची दोस्त होती है । पुस्तकों से प्रेम करने वाला कभी एकांत महसूस नहीं करता और अच्छी पुस्तकें पढ़ने वाला ज्ञानी तो होता ही है साथ ही साथ संघर्षशील और मानसिक संतुलन बनाए रखने वाला होता है।
भौतिक विज्ञान के व्याख्याता लवकुमार सिंधी ने कहा कि आज के लिए और सदा के लिए सबसे बड़ा मित्र है अच्छी पुस्तक इंसान के बचपन से स्कूल से आरंभ हुई पढ़ाई जीवन के अंत तक चलती है। लेकिन अब कम्प्यूटर और इंटरनेट के प्रति बढ़ती दिलचस्पी के कारण पुस्तकों से लोगों की दूरी बढ़ती जा रही है किताबे वह साधन हैं जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं।
अर्थशास्त्र के व्याख्याता भारमलराम चौधरी ने कहा कि आज के युग में लोग पुस्तकों की बजाय नेट में फंसते जा रहे हैं। यही कारण है कि लोगों और किताबों के बीच की दूरी को पाटने के लिए यूनेस्को ने ‘23 अप्रैल‘ को ‘विश्व पुस्तक दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया। यूनेस्को के निर्णय के बाद से पूरे विश्व में इस दिन ‘विश्व पुस्तक दिवस’ मनाया जाता है। इस अवसर पर राजनीति विज्ञान के व्याख्याता सोहनलाल खीचड़, मंगलाराम पातलिया,रामकिशन जांगू, लवकुमार सिंधी, भारमल चौधरी, हनुवंतसिंह चारण, वरिष्ठ अध्यापक श्रीराम सियाग, अध्यापक किसनाराम गोदारा,मोहनलाल खिलेरी, किसनाराम गोदारा, हरीराम धेतरवाल, पुरखाराम मांजू, बाबूलाल मांजू, मोहनलाल गोदारा, रमेश कुमार बुड़िया पूनमचंद खिलेरी सहित कई विद्वान शिक्षक उपस्थित रहें। कार्यक्रम का संचालन विद्यालय के लैब टेक्नीशियन रमेश कुमार बुढ़िया ने किया।

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