कद छोटा,लेकिन स्वर्ण पदक लाकर किया भारत का नाम ऊंचा
जयपुर। कृष्णा का कद शुरू से ही कम था और जैसे-जैसे ये बड़ा होता गया हमें चिंता होने लगी। यह बाहर निकलता तो लोग छेड़ते और ताने मारते, माहौल बदलने के लिए स्टेडियम ले गए और अब उसने खुद को उस माहौल से निकालकर देश का नाम रोशन कर दिया है। यह कहना है टोक्यो पैरालंपिक की बैडमिंटन स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले कृष्णा नागर के पिता सुनील नागर का। श्योरपुर रोड निवासी सुनील के बेटे कृष्णा तीन भाई बहनों में सबसे बड़े हैं। सुनील बताते हैं कि करीब २०१६ में वे कृष्णा को लेकर स्टेडियम गए और जयपुर जिला बैडमिंटन संघ के अध्यक्ष मनोज, कोच यादवेन्द्र व अतुल गुप्ता को सौंप दिया। इन्होंने उसे कद के हिसाब से पैरा में शामिल किया और कोच यादवेन्द्र सिंह ने उसे ट्रेनिंग दी। राजस्थान बैडमिंटन संघ के हेड कोच अतुल गुप्ता बताते हैं कि पहले तो हमने इसे पैरा के हिसाब से इसका वर्ग का मालूम किया और इसकी जांच करवाई और इसे एसएच-६ वर्ग में खेलने के लिए तैयार किया। कोच यादवेन्द्र ने इसे अपने निर्देशन में रखा और अब परिणाम सबके सामने है। स्टेडियम में बड़ी स्क्रीन पर मैच, जश्न कृष्णा का मैच देखने के लिए एसएमएस स्टेडियम में बड़ी स्क्रीन जयपुर जिला बैडमिंटन संघ की ओर से इंडोर स्टेडियम में लगवाई गई। इसमें बैडमिंटन संघ के सभी पदाधिकारी, खिलाड़ी और उनके परिजन शामिल हुए। जीत के बाद लड्डू बांटे और जश्न मनाया गया। एयर प्रेशर की वजह से एक ही कोर्ट पर गेम हारे दोनों खिलाड़ी टोक्यो पैरालंपिक में बैडमिंटन स्पर्धा एसएच-६ वर्ग के एकल में स्वर्ण पदक जीतने वाले कृष्णा नागर ने पत्रिका को बताया कि वे फाइनल तक अनबीटेबल रहे लेकिन फाइनल में एक गेम हार गए, इसी कोर्ट पर उनके प्रतिद्वंद्धी हांगकांग के एमके चाऊ हार गए। इसी वजह एयर प्रेशर रहा जिससे उनकी शटल आउट जा रही थीं। अंतिम सेट में ११ अंक के बाद उन्होंने कोर्ट बदला और मैच को अपने हाथ में ले लिया। इसमें उन्होंने रैली छोड़कर फिर से स्मैश लगाए और एक के बाद एक अंक बनाए। नागर का चाऊ से यह पांचवां मुकाबला था जिसमें से उन्होंने ४ जीते और मात्र एक गंवाया है। पैरालंपिक २०२० में यहां पहली बार बैडमिंटन स्पर्धा शुरू हुई है और भारत ने पहली बार में ही दो स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक जीता। राजस्थान के खिलाडिय़ों ने जीते पंाच पदक टोक्यो पैरालंपिक राजस्थान के खिलाडिय़ों के लिए शानदार रहा। इसमें उन्होंने दो स्वर्ण सहित पांच पदक जीते। जिसमें अवनि लेखरा ने निशानेबाजी में एक स्वर्ण एक कांस्य, कृष्णा नागर ने बैडमिंटन में स्वर्ण, देवेन्द्र झाझडिय़ा ने भाला फेंक में रजत और सुंदर गुर्जर ने भाला फेंक में कांस्य पदक जीता। राजस्थान के खेलों के इतिहास में यह पहली बार है जब ओलंपिक और पैरालंपिक को मिलाकर एक साथ इतने पदक आए हैं।