माता पिता नेत्रहीन,9 साल का बेटा बना सहारा
नेत्रहीन मां-बाप पर जान न्यौछावर करने वाले श्रवण कुमार की कहानी तो आप सभी लोगों ने सुनी ही होगी। इस बीच कुछ ऐसी ही कानपुर से आई है। जिसे पढ़ने के बाद आप भी बोलेंगे कि ये बच्चा कलयुग का श्रवण कुमार है। कानपुर के जवाहर नगर में रहने वाले नौ साल के मासूम बच्चे आशीष की कहानी जान कर आप भावुक हो उठेंगे। जो अंधे पिता जी की नौकरी जाने के बाद अपने अंधे मां-बाप का नन्हा श्रवण बनकर परिवार की आर्थिक तंगी को दूर करने की जिम्मेदारी उठा रहा है।
कलयुग के समय में सतयुग की कहानी को दोहराने वाले इस नन्हे श्रवण कुमार पर कलयुगी प्रकोप दिखाने वाले तानाशाह प्राचार्य के किरदार पर भी नजर डालते हैं। कहा जा रहा है कि 1996 से कानपुर के नेहरू नगर स्थित अंध विद्यालय में प्राचार्य बने इंद्रजीत अपनी मनमानी के चलते इस परिवार की खुशियों को डकार चुके हैं। काम से नाखुश होकर प्राचार्य ने पावर का प्रयोग करते हुए अंधे गोपाल नेगी को 2019 में नौकरी से निकाल दिया। जिसके बाद बेबस लाचार परिवार दर-दर भटकते हुए लोगों से मदद की गुहार लगाने लगा। लेकिन किसी से मदद नहीं। इसके बाद परिवार आर्थिक तंगी झेलने को मजबूर हो गया।
कई दिनों तक भूखे प्यासे रहने के बाद किराए के मकान में बसर करने वाले इस अंधे परिवार का सहारा इनका नौ साल का बेटा आशीष बना। जो अपने अंधे पिता गोपाल नेगी के साथ सड़कों पर कबाड़ बीनने का काम करता है। सड़क पर से बीने गए काबड़ों को बेचकर वो अपने परिवार की भूख मिटा रहा है। सिर्फ वो भूख नहीं मिटा रहा है बल्कि कबाड़ से मिले पैसे से ही वो अपनी पढ़ाई भी कर रहा है।
दिव्यांगों के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं लेकिन आज भी ये परिवार इन योजनाओं से अछूता रहा है। अब ऐसे में इस परिवार की बदहाली कब दूर होगी ये एक बड़ा सवाल है।