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कुछ सीखो इस दिव्यांग साथी से,दुनिया कर रही हैं सेल्यूट

सड़क किनारे का वो भिखारी निकला शहंशाह,भीख में मिले पैसे से गरीब बच्चों के स्कूल की भरता है फीस
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New Delhi:यह दिव्यांग भिखारी है, जिसके कटोरे में औरों के लिए खुशियां जुटती हैं। मैले कपड़े.. धूल से लथपथ.. कभी रेंगते हुए तो कभी व्हीलचेयर पर पंजाब के पठानकोट में भीख मांगता राजू चलने-फिरने में असमर्थ है। शहर में ऐसा कोई नहीं जो राजू को ना जानता हो। अधिकांश लोग उसे जानते हैं.. और जो नहीं जानते, उसे देखकर उसके बारे में जानने के लिए उत्सुक रहते हैं। राजू का अंदाज ही कुछ ऐसा है…लोगों को जब उसके नेक कामों के बारे में पता चलता है तो भीख देने के लिए बढ़े हाथ सलाम को उठ जाते हैं।

राजू बचपन से दिव्यांग है। बचपन में बी राजू के सिर से माता-पिता का साया उठ गया था। राजू के तीन भाई और तीन बहनें हैं। दिव्यांग होने की वजह से उन्होंने 30 साल पहले राजू को बेसहारा छोड़ दिया था। सड़क पर भीख मांगने के अलावा जीने को कोई जरिया न था। नियति को स्वीकर कर भीख मांगना शुरू कर दिया। भाई-बहन फिर उससे कभी नहीं मिले। सड़क पर भीख मांगता हर बच्चा, हर भिखारी उसे अपना लगता। भीख में जो मिलता, उससे पेट पल जाए बस इतना ही उसे चाहिए था। जो बचता, वह जरूरतमंदों के हवाले कर देता।

राजू भीख तो मांगता पर जितने पैसे मिलते उसे जोड़कर लोगों की मदद करता है। औरों की मदद को हर समय तत्पर रहता है। समाजसेवा के कई काम करता है। जरूरत जहां भी हो, यदि राजू की हैसियत में है, तो वह मुंह नहीं ताकता। एक बार शहर की ढांगू रोड का एक पुल टूट गया था। इस पुल के टूटने की वजह से कई लोग घायल हो गए थे। लोगों ने प्रशासन से इसकी शिकायत की, लेकिन प्रशासन के कानों तक एक जूं ना रेंगी। एक दिन राजू भी इसी पुलिया पर हादसे का शिकार हो गया। इसके बाद उसने मिस्त्री बुलाकर पुलिया की मरम्मत शुरू करा दी। पुलिया बन कर तैयार है।

राजू कहता है, अब कोई घायल नहीं होगा… शहर के लोगों को जब पता चला कि पुलिया राजू ने बनवाई, तो सभी ने राजू को सलाम कर अपना दायित्व पूरा किया। इसके बाद से राजू ने हर किसी की मदद करने की ठान ली। राजू अब कई बेसहारों का सहारा बना हुआ है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर साल कुछ सिलाई मशीनें उपलब्ध कराता है। कुछ बच्चों की फीस का खर्च उठाता है। कॉपी-किताब के लिए मदद करता है। कहता है, ये सब मेरे अपने हैं। इनकी मदद कर मन को शांति मिलती है…।

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