मेडिकल स्टोर पर धड़ल्ले से बिक रही नशीली दवाएं,पड़े छापे
औषधि नियंत्रण विभाग ने एस एफ आई के बैनर तले नशे को लेकर आक्रोश रैली को देखते हुए मेडिकल स्टोर पर मारे छापे,
मेडिकल स्टोर पर धड़ल्ले से बिक रही नशीली दवाएं
नशा निगल रहा नवयुवकों की जिंदगी
पुलिस को इन अवैध कारोबार पता होने के बावजूद नहीं होती कोई कार्यवाही
पुलिस की छत्रछाया में फल फूल रहा नशीली दवाओं का कारोबार
पवन कुमार जोशी/दिव्यांग जगत
रायसिंहनगर ( श्री गंगानगर) औषधि नियंत्रण विभाग ने एस एफ आई के बैनर तले शहर में बढ़ रहे नशे को लेकर आक्रोश रैली निकाली जानी है। जिसे देखते हुए औषधि नियंत्रण विभाग के अधिकारियों ने आनन-फानन मेडिकल स्टोर पर छापा मारी शुरू कर दी। लेकिन यह छापामारी मात्र खानापूर्ति करने के लिए मेडिकल स्टोर्स पर छापेमारी की जा रही है । जबकि जिला स्तर से लेकर ग्रामीण इलाकों में नशे का कारोबार धड़ल्ले से हो रहा है। लेकिन औषधि नियंत्रण विभाग सिर्फ एक दो मेडिकल स्टोर्स पर छापेमारी करके अपनी खानापूर्ति कर रहे है।
आजकल नवयुवक नशीली दवाओं के चक्कर में पड़ अपना जीवन बर्बाद करने पर तुला है । इन सब के पीछे औषधि नियंत्रण विभाग का मुख्य हाथ है। शहर कस्बे व गावों में यह नशीली दवाई बड़े आराम से उपलब्ध हो जाती है। कुछ मेडिकल स्टोर तो इन नशीली दवाओं के सहारे से ही चलते हैं ।आजकल तो कस्बे के वार्ड में घर पर ही कुछ अवैध दवाई बेचने वाले सरेआम यह धंधा कर रहे हैं। जबकि विभाग के पास कार्य करने वालों की सूचना तक होती है । पुलिस प्रशासन भी यह सब कुछ जानते हुए भी अनजान बना बैठा है । क्या इन्हें तो अपनी मंथली की आवश्यकता है। जो इन्हें घर बैठे मिल जाती है औषधि नियंत्रण विभाग के अधिकारी ड्रग इंस्पेक्टर की कमी बताकर अपना पल्ला झाड़ लेता है आखिर इस नशीली दवाओं का जो अवैध कारोबार मोहल्लों तक पहुंच गया है इसे कौन रोकेगा या यह धंधा ऐसे ही फलता फूलता रहेगा और नवयुवकों को नशीला बनाने में मदद करेगा नवयुवक एक ऐसी अवस्था है जिसमें अच्छे बुरे की सोच नहीं होती इस सोच को अवैध रूप से नशीला पदार्थ बेचने वाले हवा देखकर धीरे-धीरे नव युवकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं इन्हें नशेड़ी बनाने में लगे हैं औषधि नियंत्रण विभाग व पुलिस प्रशासन यदि ईमानदारी से अपना काम कर चाहे तो यह सब अवैध नशीली दवाओं का धंधा बंद करवा सकते हैं मेडिकल स्टोर पर तो यह दवाई दी जाती है ।जबकि यही दवाई मोहल्लों में भी सरलता से उपलब्ध हो जाती है। यह अवैध दवाई किस प्रकार बाजार में पहुंचती है यह पुलिस प्रशासन के लिए एक चुनौती है ।पुलिस प्रशासन यदि चाहे तो इन दवाओं के लाने में बेचने वालों को सबक सिखा सकते हैं और नव युवकों को कुछ हद तक नशेड़ी होने से बचा सकते हैं बस चालक अपने 30 से ₹50 बनाने के चक्कर में यह नशीली दवाओं के कार्टून इधर से उधर तक पहुंच करवाते हैं क्या इन पर भी लगाई जायेगी लगाम ।
नशा निगल रहा युवाओं की जिंदगी
पुलिस बैठी है आंखें मूंदकर
रायसिंह नगर तहसील के साथ पुरे जिला क्षेत्र में मेडिकल व पोस्त अफीम का प्रचलन काफी बढ गया है इनके साथ साथ चिट्टे की बिक्री भी चरम सीमा पर है इन सब नशो ने रायसिंहनगर वह आस-पास के गांव में पैर पसारने शुरू कर दिए हैं तहसील स्तर व आसपास के गांवों में प्रतिबंधित गोलियां व कैप्सूलो की बिक्री परवान पर है नशे के कारण युवा वर्ग का भविष्य अंधकार की ओर जा रहा है क्षेत्र में इन दिनों प्रोटाडोल एसआर और खांसी की सिरप की बिक्री खूब हो रही है ।रायसिंह नगर के मेन बस स्टैंड ,हनुमान मंदिर मार्केट ,रेलवे स्टेशन व आस-पास मेडिकल नशा व अफीम पोस्त की बिक्री खुलेआम हो रही है युवा वर्ग को मेडिकल नशे की गोलियों का पत्ता 100 से लेकर ₹200 तक बेचा जा रहा है। पुलिस को पता होने के बावजूद नहीं की जाती कोई कार्रवाई पुलिस बड़े मगरमच्छों को पकड़ने की वजह छोटी-छोटी मछलियों को बलि का बकरा बनाकर अपनी वाहवाही लुट रही है । क्या इन अवैध नशीली दवाओं के चल रहे कारोबार को बन्द करवायेगी ।पुलिस या यूं ही पुलिस की छत्रछाया में फलता फूलता रहेगा। नशीली दवाओं का कारोबार या इसे बंद करने के लिए पुलिस प्रशासन करेगा कार्रवाई।