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बामणियाँ बालाजी का मेला 8 को

मुकेश वैष्णव / दिव्यांग जगत / अजमेर

बामणियाँ बालाजी का मेला 8 को

अजमेर जिले के नसीराबाद क्षेत्र के एतिहासिक एवं धार्मिक स्थल बामणियाँ बालाजी धाम का वार्षिक मेला 8 सितम्बर , बुधवार को भरेगा । पुजारी विनोद वैष्णव ने बताया कि 7 सितम्बर , मगंलवार रात्रि को भजन संध्या का कार्यक्रम होगा । यह सभी कार्यक्रम लाँकडाऊन की पालना करते हुए किऐ जायेंगे । यहां विराजमान बालाजी महाराज की मूर्ति बडी चमत्कारी एवं मनोरथ पूर्ण करने वाली है । जानकारी के अनुसार वर्तमान मे यहां एक छोटी व एक बडी मूर्ति विराजित है । पुजारी एवं पत्रकार मुकेश वैष्णव द्वारा सम्पादित पुस्तक श्री बामणियाँ बालाजी का इतिहास एवं कथा – भजन के अनुसार यहां पूर्व मे घना एवं बियाबान जगंल था । यहां से एक रास्ता जाता था । इस राह से एक बार एक बिन्जारा अपने गदहो पर सामान लादकर बेचने हेतू जा रहा था । इस जगंल मे डाकु रहते थे । बिन्जारे को अकेला देख जगल मे रहने वाले डाकुओं ने उसका सारा सामान लूट ले गये । बिन्जारा हनुमान भक्त था । उसने वही से एक पत्थर उठाकर उसे बजरंग बली मान हाथ जोड कर अरदास करी । भक्त की पुकार सुन कही से सैकडों बन्दर आये ओर जगंल मे छुपे डाकुओं पर हमला कर उन्हे घायल कर भगा दिया व उस बिन्जारे का सारा सामान लाकर उसके पास रख वापस जगंल मे गायब हो गए । बिन्जारे ने हनुमान जी का यह चमत्कार वहां आने जाने राहगीरों को बताया । जिस पर सभी भक्तों ने चमत्कार से प्रभावित होकर वही बालाजी का मन्दिर बना पुजा करने लगे । बिन्जारे की गोत्र बामणियाँ होने से यहां आने वाले भक्त गण इसे बामणियाँ बालाजी के नाम से पुकारने लगे । साथ ही दुसरी बडी शिला पर बनी मूर्ति यहां पीछे बने तालाब से निकली है । जानकारी के अनुसार यहां पीछे पडी भूमि देरांठू गांव के पापडियां जाट परिवार की थी । एक दिन गांव का एक किसान इसमे बैलो से हकाई कर रहा था , कि एक पत्थर आने से उसकी हल की नोक टुट गई । किसान ने उस पत्थर को निकालने का प्रयास किया पर पत्थर नही निकला । किसान थक हार घर आ गया । रात्रि मे देरांठू मे रहने वाली एक बालाजी भक्त ब्राह्मणी को बालाजी सपने मे आये ओर खेत मे गडी मूर्ति को बहार निकालने की बात कही । सुबह उठने पर यह सपने की बात ब्राह्मणी ने ग्रामीणों को बताई । जिस पर ग्रामीण इकट्ठे होकर उस खेत पर पहुंचे । फिर उस जगह से खुदाई करने पर एक बडी शिला पर बालाजी खुदे हुए मूर्ति निकली । जिसे ग्रामीणों ने गाजे बाजे के साथ उसी छोटी मूर्ति के साथ स्थापित करा दिया । यह मूर्ति ब्राह्मणी द्वारा सपने आकर बताने से भक्त गण इसे ब्राह्मणियां बालाजी के नाम से जानने लगे । धीरे धीरे भक्तों के कार्य सिद्ध होने पर मन्दिर निर्माण , धर्मशाला , बगीचे के साथ ठण्डे पानी की व्यवस्था यहां भक्तों के सहयोग से निरन्तर होती गई । यहां हर वर्ष दोनो नवरात्रि मे अखण्ड रामायण पाठ होते है । गोठ , सवामणी के साथ भक्त गण परिवार के साथ छोटे मोटे कार्यक्रम भी इस धाम पर आकर करने मे गर्व महसूस करते है । यहां मूर्ति के पास वर्षौ से अखण्ड दीपक प्रज्जवलित चल रहा है । यहां पुजा अर्चना देरांठू के वैष्णव ( गैसजी) परिवार द्वारा पीढियों दर पीढियों से की जा रही है ।

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