वे कहते हैं कि अगर कोई नया वेरिएंट नहीं आया तो तीसरी लहर नहीं आएगी. अगर डेल्टा वेरिएंट ही रहा और कोई नया वेरिएंट नहीं आया तो समझिए हम कोरोना के खिलाफ यह लड़ाई जीत रहे हैं.
कोरोना की दूसरी लहर काबू में दिखाई दे रही है, लेकिन तीसरी का खतरा लगातार बना हुआ है. अटकलें लगने लगी हैं कि तीसरी लहर में स्थिति कैसी रहेगी, तब कितने मामले सामने आएंगे. अब इस कयासबाजी के बीच IIT कानपुर के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने बड़ी बात कह दी है. उनकी नजरों में अगर कोरोना का अब कोई नया वेरिएंट नहीं आया, तो तीसरी लहर भी देश में नहीं आनी चाहिए.
कोरोना की तीसरी लहर को टाला जा सकता है?
वे कहते हैं कि अगर कोई नया वेरिएंट नहीं आया तो तीसरी लहर नहीं आएगी. अगर डेल्टा वेरिएंट ही रहा और कोई नया वेरिएंट नहीं आया तो समझिए हम कोरोना के खिलाफ यह लड़ाई जीत रहे हैं. वहीं केरल के बिगड़े हालात पर उन्होंने कहा कि देश ने कोरोना पर लगभग काबू पा लिया है, केरल में काबू पाते ही देश में काबू पाया जा सकेगा. अगले एक महीने में केरल में भी मामले काबू में आ जाएंगे.
यूपी ने केरल से क्या अलग किया?
मणींद्र अग्रवाल ने जोर देकर कहा कि कोरोना की लड़ाई में यूपी मॉडल काफी सफल रहा. उनकी माने तो वहां पर 75 फ़ीसदी से ज्यादा लोगों में कोरोना के खिलाफ इम्यूनिटी बन चुकी है. इस बारे में उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में कोरोना कंट्रोल का अच्छा काम हुआ और निगरानी समितियों की वजह से उत्तर प्रदेश ने हालात को काबू में कर लिया. केरल के हालात इतने खराब हैं क्योंकि वहां heard immunity नहीं बनी, जबकि उत्तर प्रदेश में 75 फ़ीसदी से ज्यादा लोगों में कोरोना के खिलाफ इम्यूनिटी बन चुकी है.
तेज टीकाकरण से सुधरी स्थिति
अब अभी के लिए कोरोना के मामले फिर जरूर बढ़ रहे हैं, लेकिन मणींद्र अग्रवाल मानते हैं कि स्थिति कंट्रोल में है. उनकी नजरों में देश में टीकाकरण तेज गति से हो रहा है और उस टीकाकरण की वजह से ही स्थिति बेकाबू नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि भारतीय वैक्सीन कोरोना के खिलाफ सबसे बड़ी उपलब्धि है, अगर कोवैक्सीन या कोविशील्ड नहीं होती तो देश के हालात बेकाबू होते.
जानकारी के लिए बता दें कि देश में अभी टीकाकरण रफ्तार फुल स्पीड में है. दो बार तो एक दिन में ही एक करोड़ से ज्यादा लोगों को टीका लग चुका है. सरकार की पूरी कोशिश है कि साल के अंत तक पूरी एडल्ट आबादी को कोरोना का टीका लगा दिया जाए.