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PM मोदी दीवाने हुए इस दिव्यांग के,पैरों से बनाते हैं पेंटिग

पैरों की उंगली से बनाते हैं आयुष कुंडल पेंटिग

पीएम मोदी फॉलो करते हैं दिव्यांग आयुष कुंडल को

दिल्ली। मध्य प्रदेश में खरगोन जिले के बड़वाह में निवासी आयुष कुंडल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुलाकात की है।इसकी जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ट्वीट के जरिए दी उन्होंने लिखा कि आयुष से मिलना उनके एक अविस्मरणीय क्षण बन गया।आयुष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की इच्छा जताई थी। इससे पहले वो सुपर स्टार अमिताभ बच्चन से भी मिल चुके हैं। आयुष दिव्यांग हैं और अपने पैरों से पेंटिंग बनाते हैं। प्रधानमंत्री के साथ वो स्वामी विवेकानंद की एक पेंटिंग के साथ नजर आ रहे हैं।

आयुष से मिलने के बाद प्रधानमंत्री ने ट्वीटर पर लिखा, ”आज @aayush_kundal से मिलना मेरे लिए एक अविस्मरणीय क्षण बन गया। आयुष ने जिस प्रकार पेंटिंग में महारत हासिल की और अपनी को पैर की उंगलियों से आकार दिया,वो हर किसी को प्रेरित करने वाला है। अनवरत प्रेरणा मिलती रहे, इसलिए मैं उन्हें ट्विटर पर फॉलो कर रहा हूं.”

आयुष खरगोन से 80 किमी दूर बड़वाह नगर में रहते हैं. वो जन्मजात विकारों के चलते पैरों पर खड़ा नहीं हो सकते हैं। उसके हाथ भी काम नहीं करते हैं। वो बोल भी नहीं पाते हैं। इतनी शारीरिक कमियां होने के बाद भी अपने पैरों से पेंटिंग बनाते हैं।

पिछले साल आयुष ने सुपर स्टार अमिताभ बच्चन की पेंटिंग अपने पैरों से बनाई थी। आयुष ने अपने परिजनों के साथ मुंबई जाकर अमिताभ को उनके बंगले पर यह पेंटिंग उन्हें भेंट की थी। अमिताभ बच्चन उनकी कला को देख कर अभिभूत हो गए थे। अमिताभ ने आयुष की पेंटिंग को ट्विटर पर शेयर कर उनकी कला की सराहना की थी।

शुरुआती दिनों में पेंटिंग बनाने में हुई परेशानी

शुरुआती दिनों में उन्हें पैर से ड्राइंग और पेंटिंग बनाने में काफी परेशानी होती थी, लेकिन कहने है न ‘करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान’. उन्होंने धीरे-धीरे अपने पैरों से ड्राइंग और पेंटिंग के कौशल में महारत हासिल कर ली। आयुष ने इंदौर में तमाम प्रदर्शनियों में अपने चित्रों का प्रदर्शन कर प्रथम पुरस्कार जीत चुके हैं आयुष अक्टूबर 2021 में एक प्रोविजलन स्टूडेंट आर्टिस्ट के रूप में एमएफपीए में ज्वॉइन कर चुके हैं।

आयुष कुंडल का जन्म 27 अप्रैल 1997 को हुआ। वह अपने शरीर के 80 फीसदी हिस्से में सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित है, जिसकी वजह से वह दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों के लिए अपनी मां पर निर्भर रहते हैं। आयुष ने 10 साल की उम्र में दिव्यांग के एक स्कूल में दाखिला लिया था। उन्होंने धीरे-धीरे ड्राइंग और स्केचिंग में रुचि विकसित की। उनका कहना है कि जब उन्होंने रंग को भरना शुरू किया तो फिर पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा।

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