जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में समर्थ भारत पर्व पर आयोजित हुई कार्यशाला
मुकेश वैष्णव/दिव्यांग जगत/अजमेर
अजमेर । स्वामी विवेकानंद कहते हैं स्वयं पर विश्वास करना ही ईश्वर पर विश्वास करना है आज आवश्यकता आत्मविश्वास से भरे हुए युवाओं की है इनके द्वारा ही 2047 में विकसित भारत का निर्माण संभव हो सकता है। भारत का अतीत गौरवशाली रहा है तथा वर्तमान में चाहे औद्योगिक विकास हो अथवा कृषिगत विकास अथवा अर्थशास्त्र अथवा सैन्य शक्ति हम सब और आगे बढ़ रहे हैं । संपूर्ण विश्व आध्यात्मिक शांति की लिए भारत की ओर देख रहा है और कुंभ मेले से जो आध्यात्मिक ऊर्जा संपूर्ण विश्व में प्रवाहित होने जा रही है वह भी भारत की आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाने वाली है। भारत कभी भी कमजोर नहीं रहा , किंतु कतिपय गुलामी की मानसिकता वाले लोगों ने भारत को कमजोर बताया है । आज युवा को स्वयं की शक्ति का परीक्षण करने एवं अपने भीतर की अनंत शक्ति को जागृत कर एक शक्तिशाली भारत के निर्माण का आधार बनना यह समय की आवश्यकता है । उक्त विचार विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी राजस्थान प्रांत कार्य पद्धति प्रमुख डॉ स्वतंत्र शर्मा ने विवेकानंद केंद्र द्वारा समर्थ भारत पर्व कार्यशाला के दौरान मेडिकल कॉलेज अजमेर के मेलोडी सभागार में MBBS स्टूडेंट के बीच व्यक्त किए। इस अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य डॉ अनिल सामरिया ने स्वामी विवेकानंद के नर सेवा नारायण सेवा के भाव को मेडिकल के विद्यार्थियों को आत्मसात करने का आह्वान किया तथा प्रत्येक व्यक्ति जो उनके समक्ष मरीज बनकर आए उसको ईश्वर समझ कर चिकित्सा करना अपने जीवन का लक्ष्य बनाने के लिए प्रेरित किया । इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजक एवं अतिरिक्त प्राचार्य डॉ श्याम भूतड़ा ने विवेकानंद केंद्र की गतिविधियों की चर्चा करते हुए बताया कि विवेकानंद केंद्र योग संस्कार स्वाध्याय इत्यादि के द्वारा मनुष्य निर्माण से राष्ट्रीय पुनरुत्थान के कार्य में निरंतर अग्रसर है। कार्यक्रम के अवसर पर वरिष्ठ चिकित्सक डॉ संजीव माहेश्वरी, डॉ पुखराज गर्ग, चिकित्सा अधीक्षक डॉ अरविंद खरे. डॉ सुनील माथुर, डॉ विजय लता रस्तोगी, डॉ नरेंद्र शाह, डॉ अमित यादव, डॉ दिग्विजय सिंह, डॉ लक्ष्मण चरण, डॉ लाल थदानी, डॉ विकास सक्सेना, डॉ महेश मेहता, डा नितिन शर्मा, डॉ अंकित कुमावत सहित अनेक वरिष्ठ चिकित्सक और एमबीबीएस विद्यार्थी मौजूद थे।
कार्यक्रम में विवेकानंद केंद्र के अंकुर प्रजापति, श्यामवीर सिंह एवं गणपत का भी विशेष सहयोग रहा।