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घर- घर पर करते थे सामान की डिलीवरी, अब बने 22000 करोड़ के मालिक

घर-घर किराना सामान डिलीवरी करने के अनूठे आइडिया से 22,000 करोड़ का साम्राज्य बनाने वाले अपूर्व

by kenfolios

जब आप पूरी शिद्दत के साथ कुछ करते हैं, वहां पर आपको प्यार की भावना का अहसास होता है, जिसे आप नज़र अंदाज नहीं कर सकते। ऐसा ही कुछ अपूर्व मेहता के साथ हुआ जिन्होंने यूँ तो 20 कंपनियां शुरू की परन्तु एक आइडिया से उन्हें प्यार हो गया और जिसने उनकी जिंदगी ही बदल डाली। उन्होंने इंस्टाकार्ट की स्थापना की और लोगों के किराने के सामान खरीदने के तरीके को बदल कर रख दिया।

अपूर्व का जन्म कनाडा में हुआ। उनका बचपन से ही टेक्नोलॉजी के प्रति बेहद लगाव था। हमेशा उनके भीतर कुछ नया जानने की इच्छा रहती थी। उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में यूनिवर्सिटी ऑफ़ वॉटरलू से 2008 में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। कॉलेज के बाद अपूर्व ने अमेज़न के साथ काम किया। दो साल काम करने के बाद उन्होंने महसूस किया कि उनका सीखना रुक सा गया है और उन्हें काम में कुछ चुनौतियाँ भी नजर नहीं आ रही थी।

अपूर्व दुनिया में भौतिकवादी बदलाव लाना चाहते थे और वह समझते थे कि यह सब तभी संभव हो पायेगा जब वे एक बड़ी कंपनी के साथ काम करेंगे। और इसके लिए केवल एक ही रास्ता था, वह था इंटरप्रेन्योर बनने का। वे बिज़नेस के बारे में बिल्कुल भी नहीं जानते थे क्योंकि उनकी दिलचस्पी शुरू से ही कंप्यूटर के प्रति थी। काम को समझने के लिए उन्होंने टेक मीटिंग में जाना शुरू किया।

शुरूआत में अपूर्व को कुछ भी समझ नहीं आ पा रहा था। परन्तु वे इसके हर हिस्से को पसंद कर रहे थे जिसके कारण उनका यह विश्वास, कि वे सही रास्ते पर चल रहे हैं, प्रबल होता गया। अपनी खुद की कंपनी खोलने के लिए उनके पास बहुत से आइडिया थे परन्तु वे कुछ कर नहीं पा रहे थे क्योंकि वे उस दौरान अमेज़न में काम कर रहे थे। उन्हें अपने आइडिया के ऊपर काम करने के लिए समय ही नहीं मिल पा रहा था। अंत में उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला लिया।

इसके बाद जल्द ही वे सेन फ्रांसिस्को चले गए वहां पर उनका एक दोस्त रहता था। दो साल तक अपूर्व का पता उसके दोस्त के घर का एक सोफा हुआ करता था। वहां वे अपने आइडिया के बारे में सोचते और अपने नए स्टार्ट-अप के लिए कोड्स लिखते थे। शुरू में उन्हें यह सब करने में मज़ा आता था पर बार-बार असफल होने की वजह से वे निराश हो गए। इन दो सालों में उन्होंने 20 कंपनियां शुरू की परन्तु इनमें से किसी ने भी सफलता का स्वाद नहीं चखा ।

कुछ महीनों बाद अपूर्व एक नए स्टार्ट-अप प्लान के साथ वापस आये। यह आइडिया था वकीलों का सोशल नेटवर्क बनाना। उन्होंने एक लाख डॉलर फण्ड का जुगाड़ भी कर लिया था परन्तु एक साल बाद अपूर्व को इसमें रुची नहीं रह गयी। उन्हें लगने लगा कि वे गलत रास्ते पर जा रहे हैं। उन्होंने अपने इस स्टार्ट-अप को छोड़ दिया। उनके इन्वेस्टर का एक लाख डॉलर डूब चुका था। यह उनकी जिंदगी का सबसे ख़राब दौर था।

आगे के कुछ महीने उनके लिए चुनौती से भरे हुए थे। उनके पास कोई भी कमाई का जरिया नहीं था और अप्रवासी होने की वजह से वे और ज्यादा दिन अमेरिका में रुक नहीं सकते थे। उनकी माँ की तबियत भी ख़राब रहने लगी थी और वे उनकी कुछ भी मदद नहीं कर पा रहे थे। यह अपूर्व की जिंदगी का सबसे ख़राब दौर था। परन्तु उन्होंने हार नहीं मानने का फैसला कर लिया था।

अपूर्व कुछ ऐसा करना चाहते थे जो घर के पास रहकर हो पाए। बचपन से उन्हें एक ही चीज़ बिलकुल पसंद नहीं थी, वह थी किराने की दुकान तक सामान लेने जाना, चीज़े खरीदना, उसके लिए लाइन में खड़े होना और भारी सामान का बैग उठाना। उन्होंने रिसर्च की तो पाया हर चीज़ ऑनलाइन मिल रहे हैं जैसे किताबें खरीदना, लोगों से मिलना और यहाँ तक कि टीवी देखना।

26 वर्षीय अपूर्व ने 2010 में ग्रॉसरी डिलीवरी ऐप बनाया जिसका नाम इंस्टाकार्ट था। यह कंपनी उनकी थी और इसे उनके कुछ दोस्त उपयोग में ला रहे थे। कुछ महीनों बाद उनके ग्राहक बनने लगे और तब उन्होंने कुछ कर्मचारी रखे जो किराने का सामान घर तक पहुंचाते थे।

2012 में अपूर्व ने दो सह-संस्थापकों की नियुक्ति की मैक्स मुलन और ब्रैंडन लेओनार्डो। आज इंस्टाकार्ट की वैल्यूएशन 3.4 बिलियन डॉलर के लगभग है। फ़ोर्ब्स की 40 वर्ष वाले अमीर आदमी की लिस्ट में अपूर्व का नाम है और 25 राज्य के 1200 शहरों में उनकी कंपनी के 36 सेवा केंद्र हैं। आज उनके लिए लगभग 50 कर्मचारी फुल टाइम काम करते हैं। फ़ोर्ब्स ने उन्हें “द मोस्ट प्रॉमिसिंग कम्पनी इन अमेरिका” का नाम दिया है।

अपूर्व की इंस्टाकार्ट बनाने की यात्रा बेहद प्रेरणा देने वाली है। यह सिखाती है कि आप को जो पसंद है वहीं करें; या कि जो नापसंद है उससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को निजात देने की जुगत लगाएं। असफलता हर मोड़ पर मिलती है पर महत्वपूर्ण यह है कि आप बाधाओं का सामना कैसे करते हैं और लक्ष्य तक कैसे पहुंचते हैं।

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