खबर काम की : निजी स्कूलों से सुप्रीम कोर्ट की अपील
सुप्रीम कोर्ट ने देश के निजी स्कूलों से कहा है कि वे इस शैक्षणिक वर्ष 2020-21 में उन बच्चों की पढ़ाई बिना फीस चालू रहने दें जिनके अभिभावकों की मृत्यु कोरोना की वजह से हुई है. इस सुनवाई में कोर्ट ने राज्यों को भी निर्देश दिया है. अदालत ने राज्य सरकारों से भी कहा है कि वो ऐसे बच्चों की फीस की व्यवस्था करें. राज्य सरकारें इस फीस की भरपाई करें या फिर फीस माफ करवाएं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें ऐसे बच्चों की पढ़ाई पूरी करने के लिए नीतियां बनाएं और ये सुनिश्चित करें कि ऐसे छात्र/छात्राएं अपनी शिक्षा पूरी कैसे करेंगे. अदालत ने राज्यों को इस संबंध में नीतियां बनाने और लागू करने को कहा है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की भी खबर ली और कहा कि यहां के अधिकारियों की लापरवाही और लालफीताशाही की वजह से सारी नीतियों की जानकारी वेबसाइट्स पर समय रहते अपलोड नहीं हो पाती हैं. अदालत के अनुसार हाल ही में स्टेज चार के तहत अनाथ हुए बच्चों के कल्याण के लिए योजनाएं बनाई गईं लेकिन ये जानकारी अब तक वेबसाइट्स से नदारद है.
इसके जवाब में एनसीपीसीआर की ओर से कहा गया कि दरअसल डाटा तो राज्यों के बाल अधिकार संरक्षण आयोग ही अपलोड करते हैं. एक बार वो अपलोड हो जाएं और फिर सिस्टम लॉक ही जाए तो कोई भी उनके साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकता है या फेरबदल नहीं कर सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी गौर किया कि इसी वजह से जिला बाल कल्याण समितियों यानी सीडब्ल्यूसी के निर्णय अपडेट नहीं हो पाते हैं, क्योंकि वो सही नहीं होते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि इस सिस्टम को सुधारे.