25 लाख कचोरी खा जाते हैं इस जिले के लोग प्रतिदिन
हर रोज 25 लाख कचौरियां खा जाते है भरतपुर के लोग। सूर्योदय से पहले ही खुल जाती है यहां दुकानें
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भरतपुर. राजस्थान की पहचान यहां के तरह-तरह के पकवान भी हैं. भरतपुर की बात करें तो यहां के लोग सुबह-सुबह नाश्ते में कचौड़ी (Kachori) खाना बेहद पसंद करते हैं
करीब 200 से अधिक दुकानों व ढकेलों पर कचौड़ी का नाश्ता तैयार कर बेचा जाता है. रोज़ाना की खपत का आंकड़ा शौक की इंतेहा बताता है कि यहां कचौड़ी का प्रतिदिन 20 से 25 लाख का व्यापार होता है. अगर सुबह के समय शहर का भ्रमण किया जाए तो एक भी कचौड़ी की दुकान व ठेली ऐसी नहीं मिलेगी, जहां नाश्ते के लिए लोगों की भीड़ न हो. खास बात है कि हर दुकान पर बनने वाली कचौड़ी का स्वाद अलग होता है.
शहर के लोगों की कचौड़ी के प्रति दीवानगी देख दुकानों में सुबह चार बजे से ही कचौड़ी के नाश्ते की तैयारी शुरू हो जाती है. सबसे पहले आलू की सब्ज़ी बनाने का काम होता है. उसके बाद दाल, प्याज़, आलू आदि की कचौड़ी का सामान तैयार कर ग्राहकों के लिए गर्मा गर्म कचौड़ियां छानी जाती हैं. भरतपुर में आपको कचौड़ी के साथ रायता, हरी मिर्च, लाल मिर्च की चटनी ज़्यादातर दुकानों पर मिल जाएगी. सुबह 6 बजे से दोपहर 2 बजे तक कचौड़ी के दीवाने इन दुकानों पर अच्छी संख्या में दिखेंगे.
भरतपुर आएं तो ये कचौड़ी ज़रूर खाएं
एक दुकानदार बौला ने बताया कि सुबह के समय शहर में कचौड़ी की बिक्री ज़्यादा होती है. चौबुर्जा चौराहा स्थित देवीराम की कचौड़ी शहर में काफी मशहूर है. कहा जाता है कि आप भरतपुर की यात्रा पर हैं और अगर आपने देवीराम की कचौड़ी का स्वाद नहीं चखा, तो आपकी यात्रा अधूरी है. यहां 5 से अधिक दुकानों पर देवीराम की कचौड़िया बनती हैं. महानगरीय लोगों को यह बात भी हैरान कर सकती है कि कभी 2 पैसे में मिलने वाली यह कचौड़ी अब भी सिर्फ 2 रुपये की मिलती है.
इसके अलावा, गंगा मंदिर पर निरंजन की कचौड़ी, लक्ष्मण मंदिर पर गोपाल की कचौड़ी, बिजली घर पर बौला कचौड़ी आदि की मांग अधिक रहती है. शहर के लोग पहले कचौड़ी का नाश्ता बाद में और काम करते हैं. घर आने वाले नाते रिश्तेदारों को सुबह-सुबह कचौड़ी का नाश्ता कराया जाता है. लोगो की मांग अधिक होने के कारण प्रतिदिन कचौड़ी का व्यापार फल फूल रहा है.