अब आई राहत की खबर,मात्र 30 दिन में होगा काम
लोगों के काम नहीं करने वाले अफसरों की जवाब देही तय:
30 दिन में काम नहीं किया तो अफसरों पर होगी कार्यवाही
सुखराम मीणा/दिव्यांग जगत
जयपुर- लोगों के काम नहीं करने वाले अफसरों की नौकरी जाएगी:30 दिन में काम नहीं किया तो होगी कार्रवाई; जिम्मेदारी तय करने विधेयक लाएगी राजस्थान सरकार।
आप कल्पना कीजिए कि यदि किसी कार्मिक ने तय समय पर आपका कार्य नही किया तो उस जवाब देना पड़ेगा की किस वजह से आपका काम तय समय पर नही हुआ…?
जैसे पुलिस वाले ने आपकी शिकायत पर एफआईआर दर्ज नहीं की और करने के बाद यदि उस एफआईआर पर तय समय सीमा मे कार्यवाही नही की गयी तो उसकी नौकरी जा सकती है।
लाइसेंस संबंधी काम नही हुआ तो आरटीओ के कर्मचारी की नौकरी जा सकती है।
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ऐसी एक या दो नहीं बल्कि अनगिनत कार्य है साथ ही राजस्थान में लोगों से जुड़ी सैकड़ों सर्विसेज हैं, जो जल्द ही एक ऐसे कानून के दायरे में आ जाएंगी, जिसके तहत एक तय समय में काम नहीं करने पर अधिकारियों और कर्मचारियों को सजा मिलेगी।
दरअसल, राजस्थान सरकार जल्द ही लोक सेवाओं की गारंटी और जवाबदेही विधेयक लाने जा रही है। इस संबंध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक आदेश जारी कर प्रशासनिक सुधार विभाग को विधेयक का मसौदा तैयार करने के आदेश भी दे दिए हैं। इस विधेयक से लोगों के काम न सिर्फ एक तय समय में होंगे, बल्कि काम न करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों की जवाबदेही तय होगी और तय समय सीमा मे कार्य नही होने पर उन्हें सजा भी मिलेगी।
इस कानून के लिए पिछले दो सालों से सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय और उनके सहयोगी निखिल डे इस कानून के लिए पिछले दो सालों से
आंदोलन कर रहे हैं।
जिस पर इस विधेयक के मसौदे पर प्रशासनिक सुधार विभाग ने काम कर दिया है और लोगों से सुझाव भी मांगे गए है की किस तरह अफसरों जवाबदेही तय की जा सके की उनका काम तय समय सीमा मे हो।
सूत्रो की माने तो तय समय सीमा हो सकती हैं अधिकतम एक महिना-
इसके मुताबिक हर काम के लिए अलग-अलग समय-सीमा तय होगी। किसी भी काम के लिए अधिकतम 30 दिन दिए जा सकते हैं। इस विधेयक में कितनी सर्विसेज शामिल की जाएंगी, यह मसौदा तैयार होने के बाद ही सामने आएगा। इसके साथ ही कानून लागू होने के बाद भी समय-समय पर लोगों से जुड़ी सेवाएं जोड़ी जा सकेंगी
नौकरशाही में हो रहा इस कानून का विरोध-
सूत्रों का कहना है कि राज्य की नौकरशाही में इस कानून को लेकर उत्साह होना तो दूर बल्कि अंदरखाने विरोध हो रहा है। सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों का मानना है कि इस कानून से काम करने की क्षमता प्रभावित हाेगी और सरकारी नौकरी करना बहुत कठिन हो जाएगा।
क्यो पड़ी इस उम्मीद जनक कानून की जरूरत… ये है जवाब….
इसलिए पड़ी इस कानून की जरूरत…?
अभी तक राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में अगर किसी आम आदमी का कोई काम नहीं होता है या उसे चक्कर कटवाए जाते हैं, तो किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ सामान्यत: कोई कड़ी कार्रवाई नहीं होती है। ऐसे में सरकारी कर्मचारियों में काम करने या न करने के प्रति कोई लगाव या भय जैसी कोई भावना नहीं होती और इससे लोगों के काम अटक जाते हैं। ऐसे में यह जरूरत लंबे अरसे से महसूस की जा रही है कि जवाबदेही कानून बनाया जाए ताकि कर्मचारियों की जवाबदेही तय हो और जानबूझकर काम न करने पर कर्मचारी को नौकरी गंवानी पड़े और उचित दंड मिले।
प्रशासनिक सुधार विभाग को 9 नवंबर तक दे सकते हैं अपने सुझाव-
प्रशासनिक सुधार विभाग ने विधेयक के मसौदे को लेकर लोगों से सुझाव मांगे हैं। इसके लिए विभाग ने एक सूचना अपनी वेबसाइट पर भी जारी कर दी है। विभाग के शासन सचिव आलोक गुप्ता ने भास्कर को बताया कि 9 नवंबर आखिरी तारीख तय की है।
कानून के प्रणेता है निखिल डे-
इस कानून के लिए आंदोलन कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने भास्कर को बताया कि इस कानून को बनाने के लिए दो साल पहले मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा था, अब बहुत देरी हो चुकी। सरकार को अपने प्रयासों को तेज करने चाहिए, ताकि कानून जल्द लागू हो सके व उम्मीद है इस से लोगो को काफी राहत मिलेगी।
शुरुआत में ये महत्वपूर्ण काम आयेंगे इस कानून के दायरे मे-
- पुलिस मे एफआईआर दर्ज कराना
2.ड्राइविंग लाइसेंस
3.आधार कार्ड में संशोधन - राशन कार्ड बनवाना
5.मतदाता पहचान पत्र बनवाने
6.सरकारी रिकॉर्ड की कॉपी एवं नकल 7.जमीन का अधिकृत पट्टा
8.जमीन का नामांतरण खोलना
9.छात्रवृत्ति के लिए आवेदन समय सीमा में भुगतान करना - रसद सामग्री
- सामाजिक पेंशन
12.वृद्धावस्था पेंशन
13.विधवा पेंशन
14.सरकारी योजनाओं का लाभ एवं सरकारी योजनाओं का आवेदन करने के बाद तय समय सीमा में लाभ मिलना आदि काम इस दायरे में आयेंगे।