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वन स्टेट-वन इलेक्शन से पहले ही खत्म होंगे जिले ,रिव्यू कमेटी सहमत

वन स्टेट-वन इलेक्शन से पहले ही खत्म होंगे जिले ,रिव्यू कमेटी सहमत

7 हजार ग्राम पंचायतों के चुनाव टलने की संभावना, प्रशासक लगेंगे..!!

मुकेश वैष्णव/दिव्यांग जगत/अजमेर

अजमेर । गहलोत राज में बने नए जिलों के लिए बनी रिव्यू कमेटी छोटे जिलों को खत्म करने में सहमत है। वन स्टेट-वन इलेक्शन से पहले भाजपा सरकार जिलों का नए सिरे से पुनर्गठन यानी उनकी सीमाएं बनाएगी। बताया जा रहा है कि नए सिरे से जिलों की सीमाएं बनने के बाद ही वन स्टेट-वन इलेक्शन को लागू किया जाएगा।
यदि ऐसा होता है तो जनवरी 2025 में होने वाले 7 हजार ग्राम पंचायतों के चुनाव भी टलेंगे और यहां प्रशासक भी लगाएंगे। गहलोत राज में बनाए गए छोटे जिलों को खत्म करके जिलों का पुनर्गठन करने की एक्सरसाइज लगभग पूरी हो चुकी है।
कानून मंत्री ने भी साफ तौर पर इसके संकेत दिए हैं कि बिना जिलों पर फैसले के वन स्टेट वन इलेक्शन का काम आगे नहीं बढ़ सकता। वहीं, दावा किया जा रहा है कि दीपावली के बाद इन मुद्दों पर फैसला ले सकती है सरकार।
पहले इस कमेटी के संयोजक डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा थे। हाल ही में मदन दिलावर को संयोजक बनाया है।

जिलों को खत्म करने पर मंत्रियों की कमेटी सहमत, कैबिनेट करेगी आखिरी फैसला

गहलोत राज में बनाए गए आधा दर्जन के आसपास जिलों को मर्ज या खत्म किया जा सकता है। इन जिलों को लेकर बनी मंत्रियों की कमेटी ने भी अपना काम लगभग पूरा कर लिया है। कमेटी ने भी यह माना है कि कई जिले पैरामीटर पर खरे नहीं उतरते हैं, ऐसे में उन्हें मर्ज करना ही ठीक रहेगा।
कमेटी में शामिल मंत्रियों का तर्क है कि विधानसभा क्षेत्र में जितने इलाके को जिला बना दिया। ऐसे इलाके जिले बनने लायक थे। इनकी डिमांड नहीं थी और न वे पैरामीटर पर खरे उतर रहे थे। कमेटी की रिपोर्ट भी लगभग फाइनल दौर में है। सूत्रों के मुताबिक रिव्यू के लिए बनी कमेटी के सभी मंत्रियों ने भी छोटे जिलों को मर्ज करने पर ही अपनी राय दी है। जल्दी यह रिपोर्ट कैबिनेट में रखी जा सकती है।
जिलों पर उपचुनाव से पहले या बाद फैसला हो, इस पर सरकार और पार्टी में अलग-अलग राय
गहलोत राज के छोटे जिलों को मर्ज या खत्म करने पर फैसला करने से पहले कई राजनीतिक पहलुओं पर भी विचार किया जा रहा है। सरकार और बीजेपी का एक धड़ा जिले खत्म करने पर राजनीतिक पहलुओं को लेकर भी राय दे रहा है।
इस मत के नेताओं का मानना है कि उपचुनाव से पहले जिले खत्म करने का फैसला राजनीतिक तौर पर बूमरैंग भी साबित हो सकता है। ऐसे में उपचुनाव खत्म होने का इंतजार किया जा सकता है। उपचुनाव की वोटिंग के बाद ही इस पर फैसला लिया जाए।
वहीं, सरकार और पार्टी के दूसरे धड़े का यह मानना है की गहलोत राज के जिलों पर फैसला जल्द करना चाहिए। पार्टी ने विधानसभा चुनाव से पहले भी गहलोत के छोटे जिलों का खुलकर विरोध किया था, ऐसे में अगर अब इन जिलों के पुनर्गठन या मर्ज करने का फैसला होता है तो यह वादा पूरा करने जैसा ही होगा।

सरकार के पास 31 दिसंबर तक का वक्त, जनगणना की छूट से राहत

हाल ही में जनगणना रजिस्ट्रार जनरल ने देशभर में नई प्रशासनिक यूनिट बनाने और उनकी बाउंड्रीज को बदलने पर लगी रोक को 31 दिसंबर तक के लिए हटा लिया है। पहले जनगणना रजिस्टर्ड जनरल ने 1 जुलाई से सीमाएं फ्रीज कर दी थी, लेकिन अब 31 दिसंबर तक छूट देने से सरकार को वक्त मिल गया है। सरकार अगर उपचुनाव की वोटिंग के बाद भी फैसला करती है तो भी उसके पास वक्त रहेगा। कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने इस मामले को लेकर साफ ये संकेत दे दिए है कि जिलों की नई सीमा के बाद ही एक साथ इलेक्शन होंगे।
कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने इस मामले को लेकर साफ ये संकेत दे दिए है कि जिलों की नई सीमा के बाद ही एक साथ इलेक्शन होंगे।
सरकार की पहली वर्षगांठ पर दोनों बड़ी घोषणाएं पूरी करने की भी राय सरकार के सलाहकारों और मंत्री का एक धड़ा इस पक्ष में भी है कि वन स्टेट वन इलेक्शन और गहलोत राज के जिलों के पुनर्गठन का फैसला सरकार की पहली वर्षगांठ से पहले पूरा कर लिया जाए।
इसकी घोषणा सरकार की पहली वर्षगांठ के दिन की जाए। ऐसा करके जनता में वादा पूरा करने का मैसेज देने की रणनीति भी हो सकती है। हालांकि इन सब मतों पर अभी कोई फाइनल फैसला होना बाकी है।

कानून मंत्री बोले- दोनों ही मामले एक दूसरे से जुड़े हुए, जिलों के पुनर्गठन के बाद ही चुनाव

कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने जिलों के पुनर्गठन और वन स्टेट वन इलेक्शन से जुड़ी तैयारी पर कहा – जिलों के पुनर्गठन के बाद ही इलेक्शन की बात आती है। उसकी जिला परिषद, कलेक्ट्रेट, पंचायत समिति और ग्राम पंचायतों की संख्या के डिसीजन के बाद ही चुनाव करवाना संभव होगा।

कानूनी पेचीदगियों को सुलझा रही है सरकार

राजस्थान में पंचायतीराज संस्थाओं और शहरी निकायों के एक साथ चुनाव कराने के मामले में आ रही कानूनी पेचीदगियों को सुलझाने की एक्सारसाइज की जा रही है। विधि विभाग के स्तर पर मंथन चल रहा है। एक साथ चुनाव करवाने के लिए अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव टालने होंगे। सरकार इसके लिए कानूनी रास्ता तलाश रही है।

सात हजार ग्राम पंचायतों के चुनाव टलने के आसार

अगले साल 2025 में जनवरी में 6975 ग्राम पंचायतों, मार्च में 704 और अक्टूबर में 3847 ग्राम पंचायतों का 5 साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इन सबके साथ चुनाव कराने के लिए आधी पंचायतों के चुनाव आगे पीछे करने होंगे।
सरकार इस गुत्थी को सुलझाने के लिए जनवरी में होने वाले सात हजार ग्राम पंचायतों के चुनाव टालने पर विचार कर रही है। जनवरी में चुनाव नहीं करवाने की हालत में इन संस्थाओं में प्रशासक लगाने होंगे।

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