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अमीर परिवार की बेटी आज बनेगी जैन साध्वी

नलखेड़ा (आगर मालवा). वे प्रतिष्ठित व्यापारी की बेटी थीं, भरे—पूरे परिवार में बचपन से ही जीवन में कोई अभाव नहीं रहा। खुद चार्टर्ड अकाउंटेंट बन गईं लेकिन मोह—माया का यह संसार उन्हें रास नहीं आ रहा था। आखिरकार संयमी तिलगोता जैन ने सन्यास की राह पर चलने का निर्णय ले लिया। वे अब जैन साध्वी बनेंगी।

नगर की एक बेटी संयमी अब सांसरिक जीवन को त्याग कर धर्म की राह पर चलेगी। 24 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट संयमी तिलगोता जैन साध्वी बनने जा रही हैं। 18 मार्च को होने वाले समारोह में साध्वी की दीक्षा ग्रहण करेगी। संयमी नगर की पहली युवती है जो जैन साध्वी बन रहीं हैं। करीब 100 साल से कपड़े का व्यापार करने वाले सागरमल जैन परिवार की बेटी संयमी जैन ने वैराग्य का रास्ता चुना है।

जैन के चार बेटे, बहू व पोते-पोतियों का बड़ा परिवार है। इसी परिवार की राजेश-मंजू तिलगोता की दूसरे नंबर की बेटी संयमी जैन साध्वी बनने का निर्णय लिया है। संयमी ने अपनी पढ़़ाई में इंदौर में रहकर पूरी की है। चार्टर्ड अकाउंटेंड की परीक्षा भी पास की। पिछले दिनों संयमी ने जब साध्वी बनने की बात कही तो परिवार में पहले असमंजस की स्थिति बनी, हालांकि बाद में सभी ने स्वीकृति दे दी।

दादी से सीखा संयम अपनाने की भावना
संयमी ने बताया, परिवार में दादी धार्मिक प्रवृत्ति की हैं। वे धार्मिक कार्यक्रमों में बढ़-चढकऱ हिस्सा लेती हैं। उन्हीं के कारण उनके मन में धर्म पथ पर चलने की इच्छा जागृत हुई। दादा सागरमल तिलगोता भी धार्मिक स्वभाव के थे। बकौल संयमी साधु-साध्वियों के संपर्क रहने के कारण भी धर्म पथ पर चलने की प्रेरणा मिली। आचार्य विश्वरत्नसागर सूरि संयमी के साथ उदयरत्नसागर, उत्तमरत्नसागर, साध्वीश्री अर्चना श्रीजी, अर्पणा श्रीजी, मनप्रसन्ना, अमितगुणा श्रीजी सहित 20 साधु-साध्वी की मौजूदगी में उनको दीक्षा दी जाएगी।

बड़ी बहन ने दिलवाई स्वीकृति
संयमी के माता-पिता को मनाने की जिम्मेदारी दीक्षार्थी की बड़ी बहन डॉक्टर लविशा ने ली। उन्होंने माता-पिता सहित परिवार को इसके लिए राजी की। लविशा की शादी इंदौर निवासी शशांक बोहरा से हुई है। वे इंदौर में रहती हैं। दीक्षार्थी का एक छोटा भाई भी है। वह भी पारिवारिक बिजनेस में हाथ बंटाता है।

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