सरकार ने नही सुनी इसलिए नही मिली दिव्यांगो को नौकरी
विडम्बना: दिव्यांगजनों को पंचायत सहायक भर्ती में नही मिला आरक्षण
दिव्यांगजनों व पूर्व विधार्थी मित्रों को शिधिलता देकर करे संविदा नियमोें मे शामिल
सुखराम मीणा/दिव्यांग जगत
जयपुर- पूर्ववर्ति बीजेपी सरकार द्वारा निकाली गई पंचायत सहायक भर्ती-2017 मे एक भी दिव्यांग अभ्यर्थी का चयन नही किया गया जबकि पंचायत सहायक भर्ती- 2017 मे 27000 पंचायत सहायक पद पूर्ववर्ति सरकार द्वारा निकाले गए थे। जिसमे की दिव्यांगजनों को देय 4 प्रतिशत आरक्षण के हिसाब से 1000 से ज्यादा पद आरक्षित थे। योग्यता भी सिर्फ 12 वीं पास उसके बावजूद भी एक भी दिव्यांग का चयन नही होना कही ना कही सरकार पर सवालिया निशान लगाता है। साथ ही मजेदार बात ये है की आज भी पंचायत सहायक भर्ती के पद रिक्त चल रहे है। और रिक्त फाइलों की परिवेदना लगातार सचिवालय में यहा से वहा घूम रही है। इतना ही नही दिव्यांग लोगो के अलावा अन्य आरक्षित वर्ग को भी लाभ नही दिया गया जैसे- एसटी,एससी,ओबीसी, महिला व आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को भी आरक्षण लाभ नही दिया गया। जिस पर पूर्ववर्ति सरकार के खिलाफ विपक्ष कांग्रेस सरकार ने पंचायत सहायक भर्ती को विधार्थी मित्रो के हितों पर कुठाराघात बताया था और वर्तमान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुखिया गोविंद सिंह डोटासरा द्वारा भर्ती मे राजनैतिक लाभ के लिए नियमो के आभाव मे अपनी बीजेपी के कार्यकर्ताओं को भर्ती करने का मामला भी विधान सभा पटल पर पूरे जोर शोर से उठाया था, और बिना नियम,कायदे कानून रहित भर्ती का घोर विरोध किया था और कांग्रेस सरकार की भर्ती शिक्षा सहायक- 2013 जो की राजस्थान के समस्त संविदा कार्मिको को सरकारी सेवा में नियमित करवाने के लिए निकाली थी उसे निरस्त कराने का आरोप भी लगाया गया था।
दोनो सरकारो के वर्चस्व की लडाई मे संविदा कार्मिक हमेशा रहे घाटे में-
दोनो सरकारो ने अपने राजनैतिक फायदे के लिए उठाया संविदा कार्मिको का फायदा जिसमे सबसे ज्यादा नुकसान मे रहा विधार्थी मित्र जिनमे कुछ को तो पंचायत सहायक बना कर विधालय सहायक पदो पर पुन: पांच साल की संविदा नियुक्ति दे दी गयी एवं साथ ही तीन संतान और ओवरएज के कारण भी विधार्थी मित्र से पंचायत सहायक बना विधार्थी मित्र अधर झूल मे लटका है। साथ ही पिछले 5 साल से बेरोजगारी का दंश झेल रहे पंचायत सहायक भर्ती से बेरोजगार विधार्थी मित्रो द्वारा आर्थिक व मानसिक अवसाद व बेरोजगारी के चलते 150 से अधिक विधार्थी मित्र कर चुके है आर्थिक परेशानी से आत्महत्या।
पंचायत सहायक भर्ती – 2017 से बेरोजगारी विधार्थी मित्रों को अभी भी उम्मीद है की सरकार उनके द्वारा किये गए अल्प मानदेय व राजकीय अनुभव का लाभ देकर हजारो लोगो को रोजगार देकर आत्म संबल प्रदान करेगी। यदि सरकार ऐसा नही करती हैं तो निश्चित रूप से सरकार को इसका खामियाजा आगामी चुनावो मे चुकाना होगा।
वर्तमान विशेष योग्यजन आयुक्त उमा शंकर शर्मा भी नही ले रहे हैं दिव्यांग जनों के हितों के प्रति संज्ञान-
नव वर्ष की बेला पर बेरोजगार विधार्थी मित्र प्रदेश अध्यक्ष व 100% दिव्यांग विजेंद्र सिंह तँवर व आरटीई सामाजिक कार्यकर्ता सुखराम मीणा द्वारा विशेष योग्यजन आयुक्त महोदय से मिलकर सैकड़ो दिव्यांगजनों के सामने अपनी पीड़ा रखकर ज्ञापन देकर अपनी पीड़ा से अवगत कराया था की पूर्ववर्ति बीजेपी सरकार द्वारा निकाली गई पंचायत सहायक भर्ती-2017 मे एक भी दिव्यांग अभ्यर्थी का चयन नही किया गया जबकि पंचायत सहायक भर्ती- 2017 मे 27000 पंचायत सहायक पद पूर्ववर्ति सरकार द्वारा निकाले गए थे। जिसमे की दिव्यांगजनों को देय 4 प्रतिशत आरक्षणके हिसाब से 1000 से ज्यादा पद आरक्षित थे। साथ ही सैकड़ो दिव्यांग ऐसे भी थे जिनके पास राजकीय विधालयो का 5-7 साल पढ़ाने का जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा प्रमाणित राजकीय अनुभव भी था तब भी उन्हे राजनीतिक व उपरी पहुँच नही रखने के कारण चयन से जान बुझकर वंचित रख दिया गया था। योग्यता भी सिर्फ 12 वीं पास उसके बावजूद भी एक भी दिव्यांग का चयन नही होना दिव्यांग जनों के हितों पर कुठाराघात है । 1 जनवरी एवं पुन: 17 दिन बाद भी स्मरण पत्र भेज कर दिव्यांग आयुक्त महोदय से न्याय की मांग की गयी लेकिन कोई समाधान नही हुआ जो की सरकार व आला अधिकारियों की लेट लतीफी को सरेआम दर्शा रहा है। और दिव्यांगजनों की आस दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है। अत: पुन: वर्तमान सरकार व दिव्यांग आयुक्त महोदय दिव्यांगो के हित में उपर्युक्त संदर्भ में संज्ञान लेकर जिम्मेदार विभागों व अधिकारियों से जवाब तलब कर जन हितैषी सरकार का रवैया प्रदान कर बेरोजगार विधार्थी मित्रों व दिव्यांग जनों को पूर्व अनुभव का लाभ देकर संविदा नियमो मे शामिल कर रोजगार की मुख्य धारा मे जोड़ने की मुहिम को अमली जामा पहनाया जाए।