DHANTERAS : धनतेरस पर झाड़ू खरीदना है तो भूलकर भी न करें ऐसी गलतियां
धन तेरस विशेष- :
धनतेरस पर झाड़ू खरीदना है तो भूलकर भी न करें ऐसी गलतियां
सुखराम मीणा/ दिव्यांग जगत
जयपुर- धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी, धन कुबेर और धनवंतरी की पूजा का विधान है। इस दिन सोना-चांदी, बर्तन धनिया और गोमती चक्र जैसी चीजों खरीदने शुभ माना जाता है। इसके अलावा, धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदना भी बहुत अच्छा माना जाता हैं।
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाया जाता है-
धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी, धन कुबेर और धनवंतरी की पूजा का विधान है। इस दिन सोना-चांदी, बर्तन धनिया और गोमती चक्र जैसी चीजों को खरीदना शुभ माना जाता है।
इसके अलावा, धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदना भी बहुत अच्छा होता है। कहते हैं कि धन त्रयोदशी पर झाड़ू खरीदने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इस दिन झाड़ू खरीदते वक्त कुछ विशेष गलतियां करने से बचना चाहिए।
- धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने से आर्थिक संपन्नता बढ़ती है। लेकिन इस दिन यूं ही कोई भी झाड़ू न खरीद लाएं। इस दिन केवल और केवल सीक या फूल वाली झाड़ू ही खरीदें। नई झाड़ू को किचन या बेडरूम के अंदर न रखें। इसे पलंग के नीचे या पैसों की अलमारी के आस-पास न
पलंग के नीचे या पैसों की अलमारी के आस-पास न रखें।
नई झाड़ू को किचन या बेडरूम के अंदर न रखें।
धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने से आर्थिक संपन्नता बढ़ती है। लेकिन इस दिन यूं ही कोई भी झाड़ू न खरीद लाएं। इस दिन केवल और केवल सीक या फूल वाली झाड़ू ही खरीदें। नई झाड़ू को किचन या बेडरूम के अंदर न रखें। इसे पलंग के नीचे या पैसों की अलमारी के आस-पास न रखे।
लाभ-
प्लास्टिक वाली झाड़ू-
धनतेरस के दिन प्लास्टिक की झाड़ू खरीदने से बचें। इस शुभ अवसर पर प्लास्टिक का सामान खरीदने से भी बचना चाहिए। प्लास्टिक एक अशुद्ध धातु है, जिसकी धनतेरस पर खरीदारी नहीं करनी चाहिए। धनतेरस पर अशुद्ध धातु की खारीदारी फलदायी नहीं मानी जाती है। झाड़ू लाने के बाद क्या करें- धनतेरस पर नई झाड़ू लाने के बाद उसका सीधे प्रयोग न करने लगें। पहले पुरानी झाड़ू की पूजा करें। फिर नई झाड़ू को कुमकुम और अक्षत अर्पित करें। इसके बाद ही इसका इस्तेमाल शुरू करें।
धनतेरस की पूजा विधि-
शाम को उत्तर दिशा की ओर कुबेर और धनवंतरी की स्थापना करें। दोनों के सामने घी का एकमुखी दीपक जलाएं। कुबेर को सफेद मिठाई और धन्वंतरी को पीली मिठाई चढ़ाएं। पहले “ॐ ह्रीं कुबेराय नमः” का जाप करें. फिर ” धन्वंतरी स्तोत्र” का पाठ करें और प्रसाद खाएं. पूजन के दिन कुबेर को धन स्थान पर रखें। धनवंतरी को पूजा वाली जगह पर स्थापित करें।