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अंग्रेजी माध्यम( परिवर्तित) स्कूले,न किताबे है नहीं शिक्षक, निदेशालय ने जारी कर दिया फरमान 11 जुलाई से शिक्षण कार्य करें प्रारंभ

अंग्रेजी माध्यम( परिवर्तित) स्कूले

न किताबे है नहीं शिक्षक, निदेशालय ने जारी कर दिया फरमान 11 जुलाई से शिक्षण कार्य करें प्रारंभ

मुकेश वैष्णव/दिव्यांग जगत/अजमेर

अजमेर । प्रदेश मे राजस्थान सरकार द्वारा खोली गई अग्रेंजी माध्यम विधालयो मे साक्षात्कार के पश्चात छात्र /छात्राओं का प्रवेश तो कराया जा रहा है लेकिन परिवर्तित हुऐ इन कई विधालयो मे न तो किताबे है , न ही शिक्षक है । अखिल राजस्थान विद्यालय शिक्षक संघ ( अरस्तु) ने माननीय मुख्यमंत्री जी को एक ज्ञापन भेजकर कहा कि प्रदेश में अंग्रेजी माध्यम स्कूले खूले ( परिवर्तित करके नहीं) इसका विरोधी संगठन नहीं है, समर्थक है । लेकिन राज्य सरकार ने बिना इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया है । हिंदी माध्यम स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में एक के बाद परिवर्तित जारी है इस पर शीघ्र रोक लगाने की मांग मुख्यमंत्री से की । ( अरस्तु ) प्रदेश अध्यक्ष रामकृष्ण अग्रवाल ने कहां है कि सरकार को पहले
विशेषज्ञों की कमेटी गठन करके, उन के राय के उपरांत ही अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को खोला जाए। लगता है कि राज सरकार ने असरानीका विज्ञापन देख लिया हो इसमें असरानी कहता है घर के सारे बल्ब बदल दूंगा यानी हिंदी मध्यम स्कूल को अंग्रेजी माध्यम स्कूलो में बदल दूंगा। संगठन ने आगे कहा कि बिना तैयारी के अंग्रेजी माध्यम स्कूल के कारण संस्था प्रधान के सामने विकट समस्या खड़ी हो चुकी है।
छात्रों के पास ने तो किताब है नहीं ही शिक्षक उपलब्ध कराए गए हैं । इधर निदेशालय ने फरमान जारी कर दिया है कि 11 जुलाई से स्कूलों में शिक्षण कार्य प्रारंभ कर देना अनिवार्य है । प्रदेश अध्यक्ष ने आगे कहा कि गांधीवादी सरकार को चाहिए कि बिना खडक बिना ढाल साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल यह सही है। लेकिन शिक्षण के क्षेत्र में यह चल नहीं सकता, जहां किताबें भी चाहिए और शिक्षक भी चाहिए! तभी शिक्षण कार्य चल सकता है । संगठन ने आगे कहा कि महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के लिए जो शिक्षकों का चयन हुआ है, उसमें 2 – 5% अधिकतम, जिन्होंने सीनियर सैकेंण्डरी, स्नातक व अधि. स्नातक अंग्रेजी माध्यम से प्राप्त की हो। फिर गुणवत्ता शिक्षा पर प्रश्न उठना स्वाभाविक है ।
संगठन ने पत्र मे कहां कि जब अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के लिए शिक्षकों का आरपीएससी के माध्यम से चयन होगा, 80 से 90% चयन पड़ोसी राज्यों के युवक हड़प लेंगे और प्रदेश के प्रशिक्षित बेरोजगार ताकते रह जाएंगे । सरकार ने एक के बाद एक हिंदी स्कूलों को
अंग्रेजी माध्यम स्कूलों मे परिवर्तन तो कर दिया लेकिन S.MDC की सहमती लेना भी उचित नहीं समझा गया, जो सरासर गलत है । ये तो धर्म परिवर्तन की स्थिति है जहां राय नहीं ली जाती है । संगठन का कहना है कि यह एस एम डी सी के स्वीकृति के बिना ही चलाए जा रहे है । इस अभियान पर विराम लगाना चाहिए। जो छात्र व प्रदेश के हित में सही रहेगा । सरकार को संगठन के विचारो को गहराई व गंभीरता से विचार करना चाहिए ।

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