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मोहता महाविद्यालय में विश्व पृथ्वी दिवस मनाया गया।

मोहता महाविद्यालय में विश्व पृथ्वी दिवस मनाया गया। दिव्यांग जगत संवादाता राजगढ़ (चूरू) ने बताया कि मोहता महाविद्यालय में भूगोल विभाग में डॉक्टर जी .एस शेखावत के नेतृत्व में विश्व पृथ्वी दिवस मनाया गया। इस अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया। इस अवसर पर डॉ जी. एस शेखावत ने बताया कि विश्व पृथ्वी दिवस हर साल 22 अप्रैल को बनाया जाता है जो 1970 से बनाया जा रहा है’इस दिन को अंतरराष्ट्रीय मातृ पृथ्वी दिवस के रूप में जाना जाता है, इस दिवस को बनाने का उद्देश्य पर्यावरण के प्रति सार्वजनिक जागरूकता और लोगों को इसके संरक्षण के लिए प्रेरित करना है। असिस्टेंट प्रोफेसर राजपाल गोस्वामी ने बताया कि पृथ्वी दिवस 2022 की थीम” इन्वेस्ट इन योर प्लेनेट” (पृथ्वी में निवेश) पर विस्तार से प्रकाश डाला और उन्होंने बताया कि पृथ्वी अति दोहन के कारण यह बंजर ‘ लवणीय ,क्षारियता, मरुस्थलीकरण ,अपरदन ,और अनेक पर्यावरणीय समस्याओं से ग्रसित हो गई है जिस में सर्वाधिक योगदान मानव का है। अतःधरती मां की रक्षा हर पीढ़ी का दायित्व है,’ बढ़ती जनसंख्या ,जैव विविधता के नुकसान और पर्यावरण की घटती गुणवत्ता चिंतनीय बिंदु है हमें पृथ्वी में सकारात्मक इन्वेस्टमेंट करना होगा जिससे मानव .जीव जंतु और पारिस्थितिकी तंत्र ,जलवायु एवं जैव विविधता पर विपरीत प्रभाव न पड़े। हमें पृथ्वी के संरक्षण के लिए स्थानीय स्तर पर अनेक प्रयास करने की आवश्यकता है वर्षा ऋतु में अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना, और जैविक खेती ‘जैविक खाद का अधिक से अधिक प्रयोग तथा पर्यावरण अनुकूल वैज्ञानिक कृषि पद्धति अपनाना, मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाना, और पृथ्वी के संरक्षण के लिए जागरूकता बढ़ाना। M.A(P) छात्रा निशा शर्मा ने पृथ्वी दिवस पर पृथ्वी के संरक्षण के उपाय बताएं तथा उन्होंने बताया कि हमारी संस्कृति में वृक्षों को सुरक्षित करने के लिए देवता की रूप में पूजा जाता था, और जीव जंतु और वनस्पति को संरक्षित करने के लिए गांव के बाहर ओरण स्थल बनाने का मुख्य उद्देश्य भी पृथ्वी को संरक्षण करना था विभिन्न अवसरों पर वृक्षों की पूजा की जाती है उदाहरण जैसे दशहरा पर राज्य वृक्ष खेजड़ी (शमी वृक्ष)की पूजा की जाती है।M.A(P) छात्रा पूनम प्रजापत ने ने बढ़ते पृथ्वी प्रदूषण, नगरीकरण औद्योगिकरण और जीवाश्म इंधन को जिम्मेदार बताया और उन्होंने बताया की मृदा को सुरक्षित करने के लिए जैविक खेती करना रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर जैविक उर्वरकों का प्रयोग किया जाए और मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाया जाए तथा अधिक से अधिक पर्यावरण अनुकूल वृक्षारोपण कर पृथ्वी का संरक्षण कर सकते हैं। छात्र अमित टांडी पृथ्वी को संरक्षित करने के लिए पर्यावरण अनुकूल कृषि पद्धति अपनाने और वैज्ञानिक कृषि पद्धति अपनाने और प्राकृतिक जल स्त्रोतों को संरक्षण करने,जैव विविधता को बढ़ाकर पृथ्वी का संरक्षण कर सकते हैं । M.A(P) छात्रा रेणु कुमारी ने पर पृथ्वी दिवस दिवस पर मृदा संरक्षण करने के लिए वृक्षारोपण जोर दिया, और पर्यावरण संरक्षण के लिए खेजडली बलिदान दिवस , उस पर लगने वाले प्रतिवर्ष वृक्ष मेले पर प्रकाश डाला और पर्यावरण संरक्षण का अनुपम उदाहरण बताया । M.A की छात्रा अनामिका कुमावत,पृथ्वी के पर्यावरण को बचाने के लिए हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते, तो कम से कम इतना तो करें कि पॉलिथीन के उपयोग को नकारें, कागज का इस्तेमाल कम करें और रिसाइकल प्रक्रिया को बढ़ावा दें.. क्योंकि जितनी ज्यादा खराब सामग्री रिसाइकल होगी, उतना ही पृथ्वी का कचरा कम होगा। मोनिका प्रजापत ने बताया कि भारतीय संस्कृति में पृथ्वी ‘माता’ के समान पूज्य हैं, सम्पूर्ण प्राणियों की पालनहार हैं. अपनी माता की तरह ही पृथ्वी की रक्षा करना हमारा धर्म है.।बन्ने सिंह निशा प्रजापत आदि ने भी अपने विचार रखें ।इस अवसर पर छात्र-छात्राओं द्वारा महाविद्यालय परिसर में लगे पौधों की निराई गुड़ाई की और जल डाला तथा पक्षियों के लिए परिंडे रखें तथा पानी डाला और इस अवसर पर महाविद्यालय के व्याख्याता असिस्टेंट प्रोफेसर दिनेश शर्मा और सुमिता जांगिड़ डॉक्टर विजय गोदारा , डॉक्टर ताहिरआदि उपस्थित रहे।

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