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मालखाने में 55 साल से पड़ा 64 किलो सोना CGST के हवाले, पूर्व PM लालबहादुर शास्त्री को तौलने के लिए रखा गया था

Rajasthan Big News: पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को तौलने के लिए रखा गया सोना आखिरकार उदयपुर जिला प्रशासन ने सीजीएसटी के सुपुर्द कर दिया है. सीजीएसटी को सौंपे गए इस 64.6 किलो सोने की कीमत करीब 32 करोड़ रुपये है.

उदयपुर. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Former PM Lal Bahadur Shastri) के तुलादान के लिए दिया गया 64.6 किलो सोना (Gold) कोर्ट के आदेश के बाद सोमवार देर रात सीजीएसटी (CGST) के सुपुर्द कर दिया गया. इस पूरे घटनाक्रम के दौरान अजीबो गरीब जानकारी सामने आई है. पूर्व प्रधानमंत्री को तोलने के लिए रखे गए सोने की मालखाने में 56 किलो 800 ग्राम होने की एंट्री थी, लेकिन जब सीजीएसटी को सुपुर्द करते समय इसका फिर से वजन किया गया तो यह 67 किलो 800 ग्राम निकला. इस सोने की कीमत करीब 32 करोड़ रुपये है. कार्रवाई के दौरान सीजीएसटी के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे.

मालखाने के रिकॉर्ड में दर्ज सोने की मात्रा से ज्यादा सोना मिलने पर एक बार फिर असमंजस की स्थिति बन गई. ऐसे में अधिवक्ता प्रवीण खंडेलवाल ने अधिकारियों को वर्ष 1975 का कोर्ट का आदेश बताया. इस आदेश में लिखा था कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को तोलने के लिए दिया गया संपूर्ण सोना गोल्ड कंट्रोल ऑफिसर के सुपुर्द किया जाए. चूंकि अब गोल्ड कंट्रोल ऑफिसर का पद समाप्त हो गया है और उसकी जगह सीजीएसटी की टीम काम कर रही है. ऐसे में सोने की सुपुर्दगी सीजीएसटी के अधिकारियों को की गई है.

3 किलो 200 ग्राम के सोने के एक बिस्किट का नंबर मिला अलग पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को तोलने के लिए रखे गए सोने पर न्यायालय की ओर से अब तक पांच बार आदेश दिया जा चुका है. न्यायालय के आदेश के बाद ही उदयपुर जिला कलेक्टर के मालखाने में रखा सोना सुपुर्द किया गया है. मालखाने में 56 किलो 863 ग्राम सोना रखे होने की जानकारी थी. लेकिन सोमवार रात जब सुपुर्दगी से पहले उसका वजन किया गया तो वह 67 किलो 800 ग्राम निकला. इसमें 3 किलो 200 ग्राम के सोने के एक बिस्किट का नंबर दस्तावेजों पर लिखे गए नंबर से भिन्न था. ऐसे में जिला कलेक्टर ने 3 किलो 200 ग्राम सोने का बिस्किट सीजीएसटी को सुपुर्द नहीं किया है. सीजीएसटी की टीम करीब 32 करोड़ रुपए कीमत का 64 किलो 600 ग्राम सोना सुपुर्द कर दिया गया. अधिवक्ता प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि 3 किलो 200 ग्राम सोने के लिए फिर से न्यायालय में प्रार्थना पत्र लगाया जाएगा.

दरअसल वर्ष 1965 में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का चित्तौड़गढ़ दौरा प्रस्तावित था. इस दौरे के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री को सोने से तोलने के लिए छोटी सादड़ी के 2 लोगों ने जिला कलेक्टर को सोना दिया था. हालांकि इस बीच ताशकंद में लाल बहादुर शास्त्री का निधन होने के चलते उनका यह दौरा नहीं हो पाया था. बाद में यह सोना जिला कलेक्टर के पास ही ट्रेजरी में रह गया. उसके बाद गुणवंत सिंह नाम के एक व्यक्ति ने छोटी सादड़ी के गणपत और दो अन्य के खिलाफ सोने में हेरफेर करने का मामला दर्ज कराया था. इस मामले में गणपत और हीरालाल नाम के व्यक्तियों को 2 साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी और यह सोना गोल्ड कंट्रोल ऑफिसर को सुपुर्द करने के आदेश हुए. उच्च न्यायालय में अपील करने के बाद गणपत और हीरालाल को तो बरी कर दिया गया लेकिन सोने को गोल्ड कंट्रोल ऑफिसर को देने के आदेश रहे. न्यायिक कार्रवाई होने के चलते उस समय सोना गोल्ड कंट्रोल ऑफिसर को नहीं दिया जा सका, लेकिन उसे उदयपुर जिला कलेक्टर के माल खाने में रखवाया गया था.

LALIT Kumawat
Author: LALIT Kumawat